डीएनए हिंदी: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को भरोसा है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में पीडीए के सामने एनडीए गठबंधन की हार होगी. अखिलेश यादव ने लोगों से अपील की है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सब इससे जुड़ें.
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि यह पीडीए क्या है और इस फैक्टर पर अखिलेश यादव को भरोसा क्यों है. अखिलेश यादव बार-बार उम्मीद जता रहे हैं कि यही गठबंधन है, जिसकी मदद से एनडीए को हराया जा सकता है. तमाम आइए जानते हैं कि क्या है पीडीए फैक्टर, जिसके जरिए अखिलेश यादव नई सियासत साधने की कोशिश में जुटे हैं.
क्या है PDA?
अखिलेश यादव खुद पीडीए का मतलब समझा चुके हैं. अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट के जरिए लिखा कि पीडीए मूल रूप से पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक के शोषण, उत्पीड़न व उपेक्षा के खिलाफ उठती हुई चेतना व समान अनुभूति से जन्मी उस एकता का नाम है, जिसमें हर वर्ग के वे सब लोग भी शामिल हैं, जो मानवता के आधार पर इस तरह की नाइंसाफी के खिलाफ हैं. दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सब इससे जुड़ें.
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अखिलेश यादव ने बीते दिनों एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को पीडीए हराएगा. उन्होंने कहा था कि जिस तरह 2014 में बीजेपी का आगमन हुआ था, ठीक वैसे ही 2024 में बीजेपी की विदाई हो जाएगी.
PDA पर मायावती ने क्या कहा?
मायावती सपा पर निशाना साध चुकी हैं. उन्होंने पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) की अपने ही ढंग से परिभाषा की है. उन्होंने सपा पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि सपा द्वारा एनडीए के जवाब में पीडीए का राग अलापा जा रहा है. इन वर्गों के अति कठिन समय में भी केवल तुकबंदी के सिवा और कुछ नहीं है.
मायावती ने कहा कि इनके पीडीए का वास्तव में अर्थ परिवार दल एलाइंस है, जिसके स्वार्थ में यह पार्टी सीमित है. इसलिए, इन वर्गों के लोग जरूर सावधान रहें.
क्यों अखिलेश को पीडीए पर है भरोसा?
किसी भी चुनाव में अगर पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग का वोट किसी, एक दल को मिल जाए तो उसका जीतना तय है. अखिलेश यादव यूपी में अपनी खोई हुई जमीन तलाश रहे हैं. बीजेपी बनाम सपा की सीधी लड़ाई में वह चाहते हैं कि किसी भी तरह से सत्तारूढ़ बीजेपी को शिकस्त दी जाए. इसके लिए वह हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रहे हैं.
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अगर पीडीए का साथ मिला तो अखिलेश यादव, अपने दम पर यूपी में बीजेपी के लिए परेशानियां खड़ी कर सकते हैं. यूपी की 80 लोकसभा सीटों में बीजेपी की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर ली जाएं, वहीं अखिलेश यादव बीजेपी की राह में रोड़ा डाल रहे हैं. (इनपुट: IANS)
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