डीएनए हिंदी: मणिपुर में हिंसक झड़पें थम नहीं रही हैं. जातीय हिंसा महीनों से खत्म नहीं हो रही है. अब मैतेई और कुकी समुदाय के नेताओं पर हिंसक भीड़ का गुस्सा फूट रहा है. हिंसक भीड़ नेताओं और जनप्रतिनिधियों के घरों को निशाना बना रही है. भीड़ के निशाने पर कैबिनेट मंत्री से लेकर विधायक और सासंद भी हैं.
केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के घर को भी भीड़ ने आग लगा दी. भीड़ ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेताओं के घरों में आग लगाने की भी कोशिश की है. लोगों के एक समूह ने बीजेपी कार्यालय की चौकी को घेर लिया, किसी तरह सेना के जवानों ने भीड़ को बल प्रयोग से अलग किया. आइए जानते हैं किन-किन राजनेताओं को निशाना बनाया गया है.
आरके रंजन सिंह
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री और शिक्षा मंत्री आरके रंजन सिंह के इम्फाल स्थित आवास पर 15 जून की रात भीड़ हमला किया. उनके घर में आग लगा दी. इससे कुछ दिन पहले, 23 मई को रंजन सिंह के आवास पर एक भीड़ हमला किया था. सुरक्षाकर्मियों ने किसी तरह भीड़ से नेता के परिवार वालों को बचाया. भीड़ ने उनके घर की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया.
नेमचा किपगेन
मणिपुर सरकार में कैबिनेट मंत्री नेमचा किपगेन पर भी हमला बोला गया है. उनके आवास को भीड़ ने आग के हवाले कर दिया. मंत्री कहीं बाहर गई थीं लेकिन उनके आधिकारिक आवास को लोगों ने जला दिया. मणिपुर कैबिनेट में किपगेन एकमात्र महिला जनप्रतिनिधि हैं. वह उन 10 कुकी सांसदों में शामिल हैं, जिन्होंने हिंसा के बीच कुकी-जोमी-चिन-हमार समुदायों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की थी.
गोविंददास कोंथौजम
मणिपुर सरकार में लोक निर्माण विभाग, यूथ अफेयर और खेल मंत्री गोविंददास कोन्थौजम के इंफाल स्थित घर में 24 मई को भीड़ ने तोड़फोड़ की थी. बीजेपी के सीनियर नेता और उनका परिवार बाहर था, जब उनके घर पर करीब 100 लोगों ने अटैक किया था. भीड़ ने इंफाल में राज्य मंत्री टी बिस्वजीत सिंह के आवास भी हमला किया था.
वुंगजागिन वाल्टे
थानलॉन निर्वाचन क्षेत्र के बीजेपी विधायक पर लोगों के एक समूह ने हमला कर दिया. वुंगजागिन वाल्टे को गंभीर चोटें आईं हैं. वह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक से वापस लौट रहे थे, तभी हमला हो गया. उनका दिल्ली में इलाज चल रहा है.
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सुलग उठा है मणिपुर, हिंसा नहीं रोक पा रही सरकार
मणिपुर में अब तक करीब 100 से ज्यादा मौतें हो गई हैं. 50,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं. स्थानीय पहाड़ी हिस्से लेकर घाटी तक, सैकड़ों घर जल गए हैं, दुकानें जली हैं. मैतेई और कुकी, एक-दूसरे के दुश्मन बन गए हैं. गृहमंत्री अमित शाह से लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा तक, हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा कर चुके हैं लेकिन राहत नहीं मिली है. दोनों समुदाय के बीच नफरत की खाई पट नहीं रही है.
कहां सरकार से हो रही है चूक?
मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार सुरक्षाबलों के जरिए हिंसा पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही हैं. राज्य में हिंसक झड़पों को लेकर बनाई गई शांति समितियां किसी समझौते पर नहीं पहुंच पा रही हैं. दोनों समुदायों को लग रहा है कि सरकार हमारी सुरक्षा नहीं कर सकती है. ऐसे में पहले से जारी असंतोष और नफरत और सुलग जा रही है. अपना बचाव करने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ लोग भिड़ जा रहे हैं.
क्या है हिंसा की मूल वजह?
कुकी समुदाय, मुख्य रूप से मणिपुर की पहाड़ियों में रहता है. राज्य के ज्यादातर इलाकों में हिंसा भड़की है. कुकी समुदाय के हजारों सदस्य अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं. पहाड़ी इलाकों में उनका रहना मुश्किल हो गया है. अब, कुकी समुदाय ने दावा किया है कि मणिपुर में वर्तमान स्थिति केवल इसलिए पैदा की गई, जिससे कुकी पहाड़ी हिस्सों से हट जाएं.
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कुकी समुदाय की मांग है कि अब उन्हें मैतेई समुदाय से अलग रहने दिया जाएगा. राज्य में मैतेई बहुमत में हैं. मैतेई समुदाय, जनजाति का दर्जा मांग रहा है. कुकी का कहना है कि अगर इस समुदाय को जनजाति का दर्जा मिल गया तो उनके लिए सरकारी नौकरियों के अवसर कम हो जाएंगे. पहाड़ों पर जमीन खरीदने का हक उन्हें भी मिल जाएगा. कुकी समुदाय हाशिए पर चला जाएगा. केंद्र की नजर मणिपुर है, राज्य सरकार शांति वार्ता की कोशिशों में जुटी है लेकिन हिंसा थम नहीं रही है.
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