डीएनए हिंदी: मणिपुर में सुलगी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य के ज्यादातर हिस्सों में सख्त कर्फ्यू है फिर भी हिंसक घटनाओं पर लगाम नहीं लग रही है. मैतेई और कुकी समुदाय, एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक आंदोलन कर रहे हैं. अब मणिपुर में नए मणिपुर राज्य की मांग उठ रही है.
मणिपुर हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में स्थितियां संभलने का नाम नहीं ले रही हैं. हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं. दोनों समुदायों को लग रहा है कि राज्य में हालात तभी काबू में आएंगे, जब मणिपुर का स्पष्ट विभाजन होगा. दोनों समूहों को अलग-अलग राज्य मिलेंगे.
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मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद करीब 37,450 लोग 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं. राज्य का मैतेई समुदाय अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांग रहा है. इस मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' ने आयोजन बुलाया था. तब पहली बार 3 मई को हिंसक झड़पें हुई थीं.
कर्फ्यू के बाद भी नहीं थम रही है हिंसा
मैतेई समुदाय की आबादी राज्य में करीब 53 प्रतिशत है. ज्यादातर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नागा और कुकी कुल आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं. ये ज्यादातर पहाड़ी हिस्से में रहते हैं. दोनों समुदायों के बीच एक महीने से अधिक समय से संघर्ष चल रहा. स्थानीय प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया है.
मणिपुर में क्यों उठी अलग राज्य की मांग?
कुकी समुदाय, मुख्य रूप से मणिपुर की पहाड़ियों में रहता है. राज्य के ज्यादातर इलाकों में हिंसा भड़की है. कुकी समुदाय के हजारों सदस्य अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं. पहाड़ी इलाकों में उनका रहना मुश्किल हो गया है.
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अब, कुकी समुदाय ने दावा किया है कि मणिपुर में वर्तमान स्थिति केवल इसलिए पैदा की गई, जिससे कुकी पहाड़ी हिस्सों से हट जाएं. कुकी समुदाय की मांग है कि अब उन्हें मैतेई समुदाय से अलग रहने दिया जाएगा. राज्य में मैतेई बहुमत में हैं.
कुकी समुदाय की मांग है अलग राज्य
कुकी समुदाय ने मांग की है कि इस संघर्ष को हल करने का एकमात्र तरीका मणिपुर को दो भागों में विभाजित करना है. जब मैतेई जनजाति से अलग पहाड़ी समुदाय के लिए एक नया राज्य बनेगा तब हिंसा थम जाएगी.
मणिपुर में विरोध और हिंसा मैतेई समुदाय के साथ शुरू हुी. समुदाय की मांग थी कि उन्हें भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए. इससे उन्हें कॉलेज में एडमिशन और नौकरियों में रिजर्वेशन का अधिकार मिलेगा. वे चाहते हैं कि उन्हें आदिवासी समुदाय का दर्जा मिले.
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