डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश की राजनीति में धर्म गुरुओं की मजबूत दखल रही है. राजनीतिक दल भी बाबाओं पर मेहरबान रहे हैं. कुछ बाबा सत्ता पक्ष के साथ रहते हैं, कुछ बाबाओं की कृपा विपक्ष पर बरसती है. दिग्विजय सिंह, कमलनाथ से लेकर शिवराज सिंह तक, बाबाओं की महिमा को नजरअंदाज नहीं कर पाते हैं. सोशल मीडिया के इस दौर में बाबा का सच्चा भक्त बनने की होड़ भी लोगों में दिखती है. कभी कमलनाथ बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साथ नजर आते हैं तो कभी शिवराज सिंह चौहान प्रदीप मिश्रा की शरण में पहुंचते हैं. मध्य प्रदेश की राजनीति की कहानी ऐसी ही है.
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में भी बाबा फैक्टर का बोलबाला रहा है. 2023 में कई नए बाबा इस कतार में आ गए हैं, जिन्हें देखने लाखों की भीड़ दौड़ी चली आती है. कंप्युटर बाबा, बागेश्वर धाम सरकार, प्रदीप मिश्रा, पंडोखर सरकार, जया किशोरी, रावतपुरा सरकार संत रविशंकर और कमल किशोर नागर जैसे कई चेहरे ऐसे हैं, जिन्हें रिझाने में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी, दोनों पार्टियां लग गई हैं.
बाबाओं को रिझाने में कम नहीं हैं कमलनाथ
बीजेपी पर हिंदुत्ववादी होने का टैग है. कांग्रेस सेक्युलर पार्टी है लेकिन कमलनाथ धार्मिक हैं. बीजेपी को वह कट्टरपंथी पार्टी बताते रहते हैं और सेक्युलर विरोधी छवि वाली पार्टी का दर्जा भी देते हैं. उन्होंने छिंदवाड़ा में बाबा बागेश्वर की कथा कराई थी. उन्होंने कई धर्मगुरुओं को बुलाया था. बाबा के साथ वह हेलीकॉप्टर में घूमते भी नजर आए थे. ऐसा लगा कि बाबा ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया लेकिन बाबा तो हिंदू राष्ट्र वाले हैं. अपने गुरु रामभद्राचार्य की तरह, उनका भी झुकाव बीजेपी की ओर है.
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बाबाओं का मिले आशीर्वाद तो बरसे वोट
बाबाओं को रिझाने और वोट बैंक को साधने में जबरदस्त कनेक्शन है. राघौगढ़ से लेकर छिंदवाड़ा तक,हर जगह धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को रिझाने की कोशिश कांग्रेस ने की. पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने मेजबानी ही संभाल ली. छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी तो बाबा की सेवा में हमेशा हाजिर रहते हैं. कहा जाता है कि बाबा की प्रसिद्धि में उनकी भूमिका अहम है.
बीजेपी को भी है बाबाओं से आस
बीजेपी तो घोषित तौर पर बाबाओं को रिझाती रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हर मंच से संतों का आदर सत्कार करते हैं. बीजेपी पर बाबा बागेश्वर से लेकर रुद्राक्ष बाबा (प्रदीप मिश्रा) तक की कृपा है. संयोग से जिन बाबाओं का आशीर्वाद बीजेपी चाहती है, उन्हीं का आशीर्वाद कांग्रेस भी चाहती है. नरेला से लेकर छिंदवाड़ा तक, बाबाओं के आशीर्वाद की धूम हर तरफ है.
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जया किशोरी पर भी दांव खेल रही राजनीतिक पार्टियां
कथा वाचक जया किशोरी को भी अपने पक्ष में करने की होड़ मची है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के नेता उनके कार्यक्रमों की प्रतीक्षा में है. कभी भोपाल में बीजेपी नेता के कार्यक्रम में वह नजर आती हैं तो कभी इंदौर में कांग्रेस के. महू में कांग्रेस नेता जीतू ठाकुर भी उनके कार्यक्रम करा चुके हैं. जया किशोरी संतुलित बयानों वाली कथावाचक हैं लेकिन उनके भी अनुयायी लाखों में हैं.
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क्या बाबा दिला पाते हैं वोट?
बाबा, आमतौर पर खुद को पार्टी निरपेक्ष बताते रहे हैं लेकिन वोट से पहले उनके आदेश का इंतजार हर कोई करता है. आमतौर पर इन दिनों धार्मिक प्रवचनकर्ताओं का रुझान बीजेपी की ओर है. कांग्रेस, सेक्युलर छवि भी चाहती है लेकिन धार्मिक बाबाओं को रिझाना भी चाहती है. बाबाओं के बयान कट्टर हिंदुत्व वाले भी रहे हैं. कांग्रेस का बाबाओं की शरण में जाना, मुस्लिम वोट बैंक को नुकसान भी पहुंचा सकता है.
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