डीएनए हिंदी: अंतरिक्ष में जाना काफी मुश्किल प्रक्रिया है. अंतरिक्ष से लौटकर धरती पर आना उससे भी कठिनाई भरा काम है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने हाल ही में अपने Artemis-1 मिशन के तहत Orion स्पेसक्राफ्ट को भेजा था. यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के चारों और चक्कर लगाने गया था. इस मिशन का मुख्य फोकस यह है कि Orion स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा का चक्कर लगाकर धरती पर लौटने वाला है. रविवार रात को लगभग 11 बजे यह स्पेसक्राफ्ट मैक्सिको के पास समुद्र में उतरेगा. किसी भी स्पेसक्राफ्ट के लौटने की प्रक्रिया के खतरे को देखते हुए पूरी दुनिया की निगाहें इस मिशन पर टिकी हुई हैं.
Artmis-1 मिशन 16 नवंबर को कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. 25 दिन तक चंद्रमा का चक्कर लगाने के बाद यह मिशन अब धरती पर लौटने को तैयार है. भारतीय समय के अनुसार, यह कैप्सूल रविवार रात 11:09 बजे मैक्सिको के बाजा कैलिफोर्निया में उतरने वाला है. यह मिशन अमेरिका के मून मिशन का पहला चरण है. इस मिशन में इंसानों को भेजना की योजना है. फिलहाल, इसमें 3 पुतलों को भेजा गया है जो काफी डेटा भी इकट्ठा करने वाले हैं. अगर यह मिशन सफल होता है तो साल 2024 में इसी कैप्सूल में ओरियन स्पेसक्राफ्ट से इंसान भी चांद से लौटेंगे.
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चंद्रमा से धरती पर कैसे आएगा Orion Spacecraft?
चंद्रमा के ऑर्बिट से निकलकर धरती पर लौटने वाला ओरियन स्पेसक्राफ्ट रास्ते में ही 3 हिस्सों में बंट जाएगा. पहला लॉन्च अबॉर्ट सिस्टम, दूसरा क्रू मॉड्यूल और तीसरा सर्विस मॉड्यूल. जैसे धरती से रॉकेट लॉन्च किए जाने पर सबसे पहले अगला हिस्सा अलग होता है, वैसे ही जब यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के ऑर्बिट से बाहर होकर स्पेस में पहुंचेगा, इसका नुकीला हिस्सा यानी लॉन्च अबॉर्ट सिस्टम अलग हो जाएगा.
पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने से ठीक पहले क्रू मॉड्यूल भी अलग हो जाएगा. अब सिर्फ़ सर्विस मॉड्यूल बचेगा जो कि इस स्पेसक्राफ्ट का इंजन और मुख्य हिस्सा है. दरअसल, धरती की ओर गिरते स्पेसक्राफ्ट की स्पीड लगभग 40 हजार किलोमीटर प्रति घंटा होगी. इतनी स्पीड से गिरते स्पेसक्राफ्ट के लिए किसी इंजन की ज़रूरत नहीं होती, वह धरती के गुरुत्वाकर्षण के हिसाब से अपने-आप गिरता रहता है. धरती के वातावरण में आते ही हवा का घर्षण शुरू हो जाता है और रफ्तार थोड़ी कम होती है. हालांकि, घर्षण की वजह से इसका तापमान बढ़कर 2760 डिग्री तक पहुंच जाएगा.
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आमतौर पर 1200 डिग्री सेल्सियस पर लोहा भी पिघल जाता है, यहां तो लगभग ढाई गुना ज़्यादा तापमान होगा. इतनी गर्मी से स्पेसक्राफ्ट और कैप्सूल को बचाना भी बड़ी चुनौती का काम है. इसी के लिए क्रू मॉड्यूल को हीट शील्ड से बनाया जाता है जो भीषण गर्मी भी सह सकती है. हालांकि, टेस्टिंग भी यही होनी है कि ओरियन स्पेसक्राफ्ट इतनी गर्मी को बर्दाश्त करके धरती पर उतर पाएगा या नहीं. अगर यह स्पेसक्राफ्ट धरती से 8 किलोमीटर की ऊंचाई तक आ गया तो उसके पैराशूट खुल जाएंगे, ताकि रफ्तार कम हो जाए और स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग सॉफ्ट हो.
Splashdown क्या है?
किसी भी स्पेसक्राफ्ट को धरती पर उतारने के लिए हीट शील्ड और पैराशूट के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया जाता है. इसी टेक्नीक का नाम है स्प्लैश डाउन. आमतौर पर स्पेस स्टेशन से लौटने वाले वैज्ञानिकों के कैप्सूल इसी तरह से धरती पर लौटते हैं. लैंडिंग के बाद इस स्पेसक्राफ्ट को अमेरिका के ट्रांसपोर्ट डॉक USS पोर्टलैंड की मदद से वेल डेक पर लाया जाएगा. बाद में इससे मिले डेटा की स्टडी की जाएगी.
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क्या है Artemis-1 मिशन
NASA चांद पर इंसानों को भेजने की तैयारी में है. दरअसल, इंसानों को चांद पर भेजने का काम मुश्किल नहीं है. इंसानों को चंद्रमा से धरती पर लाने का काम काफी मुश्किल और चुनौती भरा है. इसी के लिए ऐसे कैप्सूल तैयार किए जा रहे हैं जो इंसानों को सुरक्षित धरती पर ला सकें. आर्टेमिस-1 के अलावा आर्टेमिस-2 और आर्टेमिस-3 भेजे जाएंगे. आर्टेमिस 2 साल 2024 में भेजा जाएगा और उसमें इंसानों को भेजा जाएगा. हालांकि, वे भी चंद्रमा का चक्कर लगाकर वापस आ जाएंगे. आर्टेमिस-3 में वैज्ञानिक धरती पर उतरेंगे. यह मिशन साल 2025 और 2026 में भेजा जाएगा. हालांकि, इसके लिए ज़रूरी है कि इसके पहले के दोनों मिश सफल रहें.
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