DNA एक्सप्लेनर: दुनिया में सिर्फ 43 लोगों के पास है ये खून, जानें क्यों कहलाता है Golden Blood?

| Updated: Jan 25, 2022, 10:53 AM IST

यह खून बहुत ही उपयोगी होता है क्योंकि जरूरत पड़ने पर यह किसी भी ब्लड ग्रुप के काम आ सकता है.

डीएनए हिंदी: आपने अपने जीवन में अभी तक केवल चार ब्लड ग्रुप के बारे में ही सुना होगा (A, B, AB और O) लेकिन क्या आपको पता है कि इन सबसे अलग दुनिया का सबसे दुर्लभ ब्लड (Rarest Blood) टाइप यानी खून का प्रकार कौन सा है? वैज्ञानिक इसे गोल्डेन ब्लड (Golden Blood) कहते हैं. यह एक ऐसा ब्लड ग्रुप है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.

दुनिया में सिर्फ 43 लोगों के पास है यह खून!
बिगथिंक डॉट कॉम के मुताबिक, गोल्डेन ब्लड रखने वाले दुनिया में सिर्फ 43 लोग ही हैं. दरअसल इस ब्लड ग्रुप का असली नाम 'आरएच नल' है. दुर्लभ होने की वजह से वैज्ञानिकों ने इसे 'गोल्डन ब्लड' नाम दिया है.

क्या होता है गोल्डेन ब्लड?
गोल्डेन ब्लड उन लोगों के शरीर में होता है जिनका Rh फैक्टर null होता है. यानी Rh-null. इस तरह के खून वाले लोगों के Rh सिस्टम में 61 संभावित एंटीजन की कमी होती है. इसलिए इस खून के प्रकार के साथ जीने वालों की जिंदगी हमेशा तलवार की धार पर चलती है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, यह खून बहुत ही उपयोगी होता है क्योंकि जरूरत पड़ने पर यह किसी भी ब्लड ग्रुप के काम आ सकता है. हालांकि यह उन्हीं लोगों के शरीर में पाया जाता है जिनका आरएच फैक्टर शून्य होता है यानी आरएच नल होता है. इसके बारे में पहली बार साल 1961 में पता चला था. जब एक स्थानीय ऑस्ट्रेलियन गर्भवती महिला के खून की जांच की गई थी.

क्या होता है Rh फैक्टर?
आरएच फैक्टर लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की सतह पर पाया जाने वाला एक खास तरह का प्रोटीन है. अगर यह प्रोटीन आरबीसी में मौजूद है तो ब्लड आरएच पॉजिटिव हो जाता है, वहीं अगर यह प्रोटीन मौजूद नहीं है तो ब्लड आरएच निगेटिव हो जाता है. इस प्रोटीन को आरएच एंटीजन भी कहते हैं.

खून में एंटीजन क्या है?
खून के अंदर ब्लड एंटीजन प्रोटीन्स होते हैं जो कई तरह का काम करते हैं. ये बाहरी घुसपैठ की सूचना देते हैं, इम्यूनिटी को मजबूत करने का काम करते हैं. साथ ही संक्रमण से बचाने में भी मदद करते हैं. एंटीजन के बिना हमारा इम्यून सिस्टम शरीर में बचाव की प्रणाली को शुरू नहीं कर सकता है. 

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यही कारण है कि अगर B ब्लड ग्रुप वालों को A टाइप खून चढ़ा दिया जाए तो इम्यून सिस्टम शरीर में आने वाली लाल रक्त कोशिकाओं को दुश्मन समझकर हमला कर देगा. यानी शरीर के अंदर जंग छिड़ जाएगी. इससे इंसान या तो गंभीर रूप से बीमार हो सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है.

कैसे पड़ा 'गोल्डन ब्लड' नाम?
अब वापस बात करते हैं गोल्डन ब्लड की. एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में इस ब्लड ग्रुप के केवल 9 ही सक्रिय दाता हैं. यानी यह दुनिया का बेशकीमती ब्लड ग्रुप है. यही वजह है कि इसका नाम गोल्डन ब्लड रखा गया है. 

रहता है इस बात का खतरा
गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले लोगों में हेमोलिटिक एनीमिया, हीमोग्लोबिन का लेवल कम होने से शरीर में पीलापन और थकान होने की समस्या हो सकती है. ऐसी स्थिति में रेड ब्लड सेल्स के कम होने का खतरा हो सकता है. साथ ही ऐसे लोगों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.