PM Modi की टाइगर सफारी पर Congress को क्यों याद आईं इंदिरा गांधी?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 09, 2023, 02:07 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जंगल सफारी पर. (तस्वीर-PTI)

इंदिरा गांधी ने बाघों को बचाने के लिए टाइगर प्रोजेक्ट की शुरुआत 1973 में की थी. देश के सफलतम प्रोजेक्ट्स में ये मिशन शुमार है.

डीएनए हिंदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर रविवार को कर्नाटक के बांदीपुर और मुदुमलाई टाइगर रिजर्व कादौरा किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाइगर रिजर्व में सफारी का मजा लिया और तस्वीरें भी खिंचवाई. प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा कांग्रेस को रास नहीं आया है. कांग्रेस टाइगर प्रोजेक्ट को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार की आलोचना कर रही है और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तारीफ कर रही है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी के मुदुमलाई टाइगर रिजर्व के दौरे पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने ट्विटर पर ट्वीट किया है, 'आज PM बांदीपुर में 50 साल पहले लॉन्च हुए प्रोजेक्ट टाइगर का पूरा क्रेडिट लेंगे. वह खूब तमाशा करेंगे जबकि पर्यावरण, जंगल, वन्य जीव एवं वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों की रक्षा के लिए बनाए गए सभी कानून ध्वस्त किए जा रहे हैं. वह भले ही सुर्खियां बटोर लें लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है.'

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कांग्रेस को क्यों याद आईं इंदिरा गांधी?

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया, 'कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया है. यह कांग्रेस सरकार थी जिसने 1973 में बांदीपुर बाघ संरक्षण परियोजना लागू की थी, जहां आज आप सफारी का आनंद ले रहे हैं. ये उसी का परिणाम है कि आज बाघों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. पीएम मोदी से खास अपील है कि बांदीपुर को अडानी को मत बेचिए.' कांग्रेस ने इसलिए इंदिरा गांधी को याद किया है क्योंकि इस प्रोजेक्ट को इंदिरा गांधी ने शुरू किया था.

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क्या है टाइगर प्रोजेक्ट, कब हुई शुरुआत?

प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत इंदिरा गांधी ने 1973 में की थी. बाघों की संख्या देश में 2,000 से नीचे आ गई थी. तब उन्हें बचाने के लिए देशव्यापी मुहिम शुरू की गई. 1973 में इंदिरा गांधी ने करण सिंह की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया. पैनल ने मानस, पलामू, सिमलीपाल, कॉर्बेट, रणथंभौर, कान्हा, मेलघाट, बांदीपुर और सुंदरबन  समेत 9 टाइगर रिजर्व का खाका तैयार किया. 

इन इलाकों में ध्यान दिया गया. शिकारियों पर कड़ी नजर रखी गई. बाघों के खाने के लिए जानवरों को छोड़ा गया. वहां की पारिस्थितिकि तंत्र को सुधारने की कोशिश की गई. 50 साल में बहुत कुछ बदला. आज देश में 3,000 से कहीं ज्यादा बाघ हैं. कांग्रेस इस मिशन का क्रेडिट, अपनी पार्टी को ही देती है.

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