Rahul Gandhi Bail: राहुल ने की 3 अपील, जमानत के साथ मिली 3 तारीख, 5 पॉइंट्स में जानें कांग्रेस को कैसे होगा लाभ

कुलदीप पंवार | Updated:Apr 03, 2023, 08:12 PM IST

Rahul Gandhi Gets Bail: राहुल गांधी को जमानत मिलने पर उन्हें बधाई देते कांग्रेस नेता.

Rahul Gandhi Court Case: राहुल गांधी को मानहानि मामले में दो साल की सजा मिली है. इसी सजा के खिलाफ उन्होंने तीन अपील दाखिल की थी.

डीएनए हिंदी: Rahul Gandhi Disqualification- पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि केस (Modi Surname Case) में मिली 2 साल की सजा को लेकर राहत मिल गई है. सूरत सेशंस कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा को स्टे करते हुए उन्हें 15 हजार रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत दे दी है. हालांकि यह मामला यहीं खत्म नहीं होने जा रहा है. इस मामले में राहुल ने 3 अपील दाखिल कर रखी हैं, जिनमें से महज एक पर यानी सजा को फिलहाल स्टे करने के मामले में कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की है. बाकी दो अपील पर सुनवाई के लिए भी कोर्ट ने तारीख तय कर दी है यानी अब राहुल की सजा का मामला 3 अलग-अलग तारीखों पर सुर्खियों में रहेगा. इन सुनवाई से न केवल राहुल गांधी के दोबारा संसद सदस्यता हासिल करने पर फैसला होगा, बल्कि कांग्रेस ने सोमवार को यह भी दिखा दिया है कि वह इन सुनवाई को अपने लिए दोबारा जनसमर्थन हासिल करने की राह बनाने जा रही है. 

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आइए 5 पॉइंट्स में जानते हैं क्या है इन 3 तारीखों का मतलब और क्या है कांग्रेस की रणनीति.

1. किस तारीख पर कौन सा मुद्दा होगा सुनवाई में

राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट में तीन याचिका दाखिल की थी. एक अपील सजा को फिलहाल स्थगित यानी स्टे करने की थी, जिसे कोर्ट ने मानते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है. एक अपील में उन्होंने खुद को सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है यानी उनका मानना है कि यह फैसला गलत है. इस अपील पर सूरत सेशंस कोर्ट ने सुनवाई के लिए 3 मई की तारीख तय की है. राहुल की सजा पर लगे स्टे यानी उन्हें मिली अंतरिम जमानत भी इस अपील पर फैसला आने तक लागू रहेगी. राहुल की दूसरी अपील अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की है यानी सजा पर फिलहाल पूरी तरह रोक लगाना. कोर्ट ने इसके लिए 10 अप्रैल को शिकायतकर्ता यानी भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी (Purnesh Modi) और गुजरात की भाजपा सरकार से अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. उनका जवाब दाखिल होने के बाद 13 अप्रैल को राहुल की याचिका पर सुनवाई होगी. 

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2. क्या इन अपीलों से राहुल दोबारा संसद बन जाएंगे?

राहुल गांधी के दोबारा सांसद बनने यानी लोकसभा सचिवालय की तरफ से उन्हें अयोग्य घोषित करने वाले फैसले पर रोक का एक ही रास्ता है. इसके लिए उन्हें अदालत से कम से कम दोषसिद्धि पर रोक लगाने वाली वाली याचिका पर अपने पक्ष में फैसला चाहिए. अदालत का इस याचिका पर कोई भी फैसला 13 अप्रैल की सुनवाई में ही आ सकता है. यदि राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगती है तो वे फिलहाल दोबारा संसद जाने के योग्य हो जाएंगे यानी उनकी अयोग्यता वाला फैसला निष्क्रिय हो जाएगा.

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3. कांग्रेस ने दिखाया, वो कैसे लेगी इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ

कांग्रेस ने सोमवार को सूरत में राहुल की अपील पर सुनवाई के दौरान एक तरह से अपना शक्ति प्रदर्शन किया है. राहुल की सुनवाई के लिए उनकी बहन प्रियंका गांधी और 3 कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी सूरत पहुंचे. कांग्रेस ने पूरे देश में प्रदर्शन किया. इस शक्ति प्रदर्शन के जरिये कांग्रेस ने एक तरीके से अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की कोशिश की है. ऐसे में राहुल को अंतरिम जमानत मिलने से भी कार्यकर्ताओं में जोश दिखा है.

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4. कांग्रेस साबित करना चाहती है सजा को 'भारत जोड़ो यात्रा' के डर का असर

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी राहुल की सजा और फिर संसद सदस्यता से आनन-फानन में अयोग्य घोषित किए जाने के मुद्दे को गर्म रखना चाहती है. कांग्रेस इस मामले में राहुल को 'पीड़ित' की तरह पेश करके जन भावनाओं को अपने पक्ष में कोशिश करने की है. इस घटनाक्रम को 'भारत जोड़ो यात्रा' से भी जोड़ने की योजना है. पार्टी की कोशिश है कि यह कार्रवाई यात्रा के दौरान राहुल के बदले रूप और उन्हें मिले जन समर्थन से सत्ताधारी दल में पैदा हुए खौफ का नतीजा जैसा दिखाई दे. हालांकि भाजपा अब तक भारत जोड़ो यात्रा को एक विफल प्रयास के तौर पर ही प्रचारित करती रही है. 

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5. पीएम मोदी की सत्ता को 'अलोकतांत्रिक और तानाशाही' साबित करने की रणनीति

कांग्रेस की रणनीति राहुल के केस के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपरोक्ष तरीके से निशाना साधने की है. कांग्रेस ने सजा मिलने के बाद से ही इसे लगातार पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से मोदी सरकार के ED, CBI, IT जैसी केंद्रीय एजेंसियों के मनमाने उपयोग पर सवाल उठाने से जोड़ा है. इसके जरिये कांग्रेस की रणनीति पीएम मोदी की सरकार को 'अलोकतांत्रिक और तानाशाही' साबित करने की है. कांग्रेस को उम्मीद है कि यदि वह ऐसा करने में सफल रही तो लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में उसे भाजपा के खिलाफ 'सत्ताविरोधी लहर' पैदा करने में कामयाबी मिल सकती है.

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