डीएनए हिंदी: रामनवमी हो, हनुमान जयंती हो या दशहरा, शोभायात्रा के दौरान संवेदनशील इलाकों में पथराव और हिंसक झड़प की खबरें आम हो गई हैं. हर साल हिंदू धर्म के कुछ त्योहारों पर हंगामा भड़कता है. रामनवमी और हनुमान जयंती पर तो हर साल हिंसा भड़कती है. दोनों त्योहारों का टकराव रमजान से होता है. रमजान और ईद के बीच पड़े इन त्योहारों के दौरान देश ही जंग का मैदान बन जाता है.
कहां उम्मीद होती है कि हिंदू और मुस्लिम त्योहार दोनों मिलकर एक-दूसरे का पर्व मनाएंगे, कहां कुछ विशेष इलाकों में हिंसा भड़क जाती है. एकसाथ हमेशा खड़े रहने वाले दो समुदाय ही एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन जाते हैं. पथराव, अगजनी और तोड़फोड़ इन घटनाओं का निष्कर्ष होता है.
हर साल हिंसा का एक जैसा पैटर्न
यह पैटर्न हर साल पूरे देश में देखा जा रहा है. इस हिंसा का सारा दोष उन लोगों और आयोजकों को दिया जाता है जो रामनवमी या हनुमान जयंती पर झांकी निकालते हैं. तो, क्या यह मान लिया जाए कि हिंदू त्योहारों में मनाए जाने वाले उत्सव ही हिंसा का मुख्य कारण हैं?
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क्या संकट में है आपसी सौहार्द?
रामनवमी और हनुमान जयंती पर होने वाली सालाना हिंसा को लेकर स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई है कि सरकारों और केंद्र सरकार को इस संबंध में आगे आकर एडवाइजरी जारी करनी पड़ी है. इस साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रामनवमी के मौके पर आधिकारिक एडवाइजरी जारी की थी. वजह सिर्फ हिंसा थी. आपसी सौहार्द संकटपूर्ण स्थिति में है और तनाव अपने चरम पर.
हनुमान जयंती को लेकर क्या है केंद्र की तैयारी?
रामनवमी पर कई राज्यों में हिंसा भड़की. हनुमान जयंती पर भी हिंसा न भड़के इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सरकारों से एक औपचारिक रिपोर्ट मांगी. सरकार ने नागरिकों को त्योहारों के दौरान उचित कानून व्यवस्था बनाए रखने, समुदाय में शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की है.
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पथराव, आगजनी का क्यों सता रहा है डर?
इस तरह की एडवाइजरी जारी करने में कुछ भी गलत नहीं है. कुछ साल पहले तक ऐसी एडवाइजरी 15 अगस्त और 26 जनवरी के आसपास जारी की जाती थी. ये ऐसे मौके होते थे जब आतंकी हमले की आशंका होती थी. रामनवमी और हनुमान जयंती जैसे त्योहारों को लेकर भी ऐसे ही हालात पैदा हुए हैं. प्रशासन को झांकी पर पथराव और उसके बाद हिंसा फैलने का भी डर है.
राजधानी दिल्ली में कैसे स्थिति हुई तनावपूर्ण?
हनुमान जयंती को लेकर दिल्ली के जहांगीरपुरी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. दिल्ली पुलिस लगातार इलाके में पेट्रोलिंग कर रही है और उसने एक आदेश जारी कर कहा है कि हनुमान जयंती के मौके पर इलाके में किसी भी समुदाय या समूह को जुलूस निकालने की इजाजत नहीं है.
यह सब कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जा रहा है. पुलिस को अंदेशा है कि अगर हनुमान जयंती का जुलूस इन इलाकों से गुजरा तो पथराव और हिंसा हो सकती है. दरअसल, पिछले साल जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती शोभा यात्रा पर पथराव के बाद स्थिति और बिगड़ गई थी.
पुलिस की नाकामी और दोष शोभायात्रा के आयोजकों का, वजह क्या है?
अभी कुछ दिन पहले 30 मार्च को रामनवमी के दिन देश के अलग-अलग राज्यों में हिंसा हुई थी. इसमें पश्चिम बंगाल और बिहार में हालात और खराब हो गए. पश्चिम बंगाल के हावड़ा में, बिहार में बिहारशरीफ और सासाराम में रामनवमी के उत्सव के तीन दिन बाद तक हिंसा जारी रही.
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इन दोनों राज्यों में रामनवमी के जुलूस के दौरान पथराव और हिंसा को रोकने में पुलिस प्रशासन नाकाम रहा है. एहतियात के तौर पर अशांत इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई है और हनुमान जयंती से पहले हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. सवाल यह उठता है कि सौहार्द के त्योहार में अचानक भड़की हिंसा, एकपक्षीय कैसे हो गई है. सरकारें जुलूस रोकने की जगह सुरक्षा क्यों नहीं मुहैया कराती हैं.
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