डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश का कुख्यात गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा मारा गया है. लखनऊ कोर्ट में उसे अपराधियों ने गोली मार दी. वह मुख्तार अंसारी का करीबी था. जीवा के अपराधों का खौफ इतना था कि उसके खिलाफ 30 से ज्यादा संगीन मुकदमे दर्ज थे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक कृष्णानंद मर्डर केस में भी जीवा मुख्य आरोपियों की कतार में शुमार था.
बदमाशों ने संजीव जीवा पर गोलियां चलाई. हमलावर वकील की ड्रेस में आए थे. इस घटना में एक लड़की घायल हो गई और उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है. पुलिस एक आरोपी को पहले ही हिरासत में ले चुकी है और फिलहाल मामले की जांच कर रही है.
कैसे बननी शुरू हुई जीवा की क्राइम कुंडली?
साल 1997 में जीवा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या की. यहीं से जरायम की दुनिया में उसकी एंट्री हुई. जीवा एक साथ यूपी के दो बड़े गैंगस्टर का करीबी था. उसका रिश्ता मुख्तार अंसारी से भी बना रहा और मुन्ना बजरंगी से भी. मुन्ना बजरंगी वही है, जिसकी बागपत जेल में हत्या हुई थी. जीवा अपराध की दुनिया में एक के बाद कुख्यात कांड करके चर्चा में आता रहा.
इसे भी पढ़ें- लखनऊ कोर्ट परिसर में शूटआउट, मुख्तार अंसारी के करीबी जीवा की गोली मारकर हत्या, वकील के भेष में आए थे अपराधी
संजीव जीवा, हमेशा से बनना चाहता था डॉन
मुख्तार अंसारी का दाहिना हाथ रहा जीवा उर्फ संजीव माहेश्वरी की पश्चिमी यूपी में तूती बोलती थी. मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद वह डॉन बन भी गया. जेल में ही रहकर वह अपना धंधा चलाने की फिराक में रहता था. वहीं से लोगों को धमकी देता था.
1997 में बिटोरी सुर्खियां
10 फरवरी, 1997 को माफिया संजीव 'जीवा' ने यूपी के फर्रुखाबाद में पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या कर दी. यहीं से वह अपराध की दुनिया का सक्रिय सदस्य बन गया. इस जघन्य हत्या के बाद देशभर में उसके नाम पर चर्चा हुई. लोगों ने कहा कि यूपी में एक और डॉन, अब आतंक का तांडव करेगा.
ब्रह्म दत्त द्विवेदी की हत्या के बाद वह मु्न्ना बजरंगी का भी करीबी बन गया. साल 2005 में बजरंगी और जीवा पर पुलिस ने गाजीपुर के बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय सहित छह लोगों की हत्या का आरोप लगाया.
ये भी पढ़ें- BJP किसान विरोधी, उसका नारा है 'पिटे किसान, जय धनवान' हरियाणा में सरकार पर भड़की क्यों है कांग्रेस?
बंद रहने के दौरान बजरंगी और जीवा की निगाहें पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अपराध जगत पर टिकी थीं. उसकी दखल से सुशील मूच बौखला गया. सुशील मूच और जीवा की गैंग के बीच कई झड़पें हुईं. हरिद्वार में ट्रांसपोर्ट स्टेशन के पास बेशकीमती संपत्ति को लेकर आपसी दुश्मनी इस हद तक बढ़ गई कि कई लोग मारे गए.
मुन्ना के मारे जाने के बाद कमजोर हुआ जीवा
साल 2018 में बागपत जेल के अंदर गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी मारा गया था. जीवा उसकी मौत से टूट गया था. उसे पूर्व मंत्री द्विवेदी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गई.
कंपाउंडर से क्रिमिनल बना संजीव माहेश्वरी
मुजफ्फरनगर में संजीव माहेश्वरी की तूती बोलती थी. जीवा नाम का यह अपराधी साल-दर-साल अपराध की दुनिया में टॉप पर पहुंचता गया. वह कुख्यात बदमाश था. वह दिन में डिस्पेंसरी में कंपाउंडर हुआ करता था, इसके बाद उसने उसी फार्मेसी के व्यवसायी को अगवा कर लिया और मोटी रकम की मांग की.
1990 के दशक में, इस घटना के कुछ ही समय बाद, उसने कोलकाता के एक व्यापारी के बेटे का अपहरण भी कर लिया. उसने व्यवसायी से रंगदारी में दो करोड़ रुपये मांगे थे. यही जीवा का मुख्य धंधा भी देखते-देखते बन गया.
संजीव की संपत्ति कुर्क की गई
जीवा और उसकी पत्नी पायल माहेश्वरी की 8 बीघा जमीन सरकार ने जब्त कर ली. थाना आदर्श मंडी व सदर कोतवाली की जमीन दो टुकड़ों में बंट गई. जमीन की कीमत करीब एक करोड़ रुपये आंकी गई थी. खेत में लगी गेहूं की फसल को नीलामी में 9,000 रुपये में बेचा गया. पैसा सरकार के खाते में डाल दिया गया. जीव जीवा, उसकी पत्नी और उसके बच्चों को आदमपुर के टोले में 21 बीघा जमीन के मालिक के तौर पर लिस्ट किया गया था. उसने अपनी पत्नी और बेटों के नाम पर उन्होंने यह जायदाद खरीदी थी.
माफिया जीवा के खिलाफ 30 से अधिक आपराधिक मामले
शामली 1990 के दशक में मुजफ्फरनगर जिले का एक कस्बा था. संजीव जीवा तब कस्बे की पैथोलॉजी लैब में काम करता था. मुजफ्फरनगर में संजीव जीवा एक फार्मेसी में काम करता था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक बार पैथोलॉजी लैब के मालिक ने उसे कई दिनों से अटके पैसे निकालने के लिए भेजा, जिसे बाद में जीवा ने डिलीवर कर दिया.
इसके बाद उसने अपराधी बनने की ठान ली. वह मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी जैसे बदमाशों की संगत में आ गया. ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के आरोप में जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा जीवा बुरी तरह मारा गया है.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.