डीएनए हिंदी: बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों का महाजुटान हो रहा है. केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए यह महाबैठक, किसी बड़े झटके से कम नहीं है. 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, उससे पहले विपक्ष नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाने की तैयारी में जी-जान से जुट गया है. पटना में शुक्रवार को विपक्षी दलों की महाबैठक होने जा रही है.
विपक्ष के सूत्रों का कहना है कि विपक्षी नेताओं की मंत्रणा के दौरान नेतृत्व संबंधी सवालों को दरकिनार कर मिलकर मुकाबला करने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. उधर, आम आदमी पार्टी के इस इस रुख से विपक्षी एकजुटता की कवायद पर मतभेदों का साया पड़ गया कि अगर कांग्रेस ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ उसे समर्थन देने का वादा नहीं किया तो आप शुक्रवार को पटना में होने वाली बैठक से बाहर हो जाएगी.
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विपक्षी दलों की बैठक में कौन-कौन हो रहा है शामिल?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार और विपक्ष के कई अन्य नेता इस बैठक में भाग लेने वाले है.
ममता से मुफ्ती तक, पटना में नेताओं की महाजुटान
पटना में उन दलों के नेता भी जुट रहे हैं, जिनकी कांग्रेस से बन भी नहीं रही है. तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी और महासचिव अभिषेक बनर्जी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती बृहस्पतिवार शाम पटना पहुंच गईं. इस बैठक की मेजबानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कर रहे हैं.
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किन मुद्दों पर हो रही है चर्चा?
विपक्ष से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस बैठक को नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार का मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकजुटता की शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है और इसमें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक बुनियादी रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि हालांकि इस दौरान फिलहाल के लिए सीटों के बंटवारे और नेतृत्व संबंधी सवालों को नजरअंदाज किया जाएगा.
बैठक में इन बातों पर रहेगा जोर
विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, 'यह तो बस शुरुआत है. विचारों का मिलना महत्वपूर्ण है. इस वक्त चुनावी रणनीति, नेतृत्व संबंधी सवाल और सीटों के बंटवारे पर चर्चा होने की संभावना नहीं है.' उन्होंने कहा कि बीजेपी को घेरने के लिए विपक्षी दल जिन मुद्दों को उठाएंगे, वे इस बैठक का शीर्ष एजेंडा होंगे और इस संदर्भ में मणिपुर हिंसा तथा इसमें केंद्र की कथित नाकामी पर चर्चा किए जाने की संभावना है.
क्यों कांग्रेस ने साधी है चुप्पी?
कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं कि वह केंद्र सरकार द्वारा इस अध्यादेश को संसद में पेश किए जाने पर AAP का समर्थन करेगी या नहीं. विपक्षी दलों की यह बैठक ऐसे वक्त में हो रही है जब उनके आपसी मनमुटाव की खबरें भी सामने आई हैं. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर हमला करने वाले सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मुर्शिदाबाद जिले में ब्लॉक कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे हैं.
क्या नीतीश दे पाएंगे बीजेपी को टेंशन?
BJP विपक्षी दलों में मतभेदों को लेकर उन पर निशाने साध रही है और बार-बार नेतृत्व का सवाल उठा रही है कि विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का चेहरा कौन होगा. बिहार कांग्रेस के प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह ने बीजेपी की आलोचना पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का सवाल महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि 2024 के आम चुनावों में बीजेपी को हराने के बाद नेतृत्व के सवाल को मिलकर हल किया जा सकता है.
विपक्षी दलों की बैठक पर टिकी है निगाहें
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेता डी राजा ने विपक्षी नेताओं की पटना में होने जा रही बैठक को सही दिशा में आगे बढ़ाया गया एक कदम बताया. वह भी इस बैठक में शामिल होंगे. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी बैठक में भाग लेने की सहमति जताई है. तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति, ओडिशा की बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी उन गैर-बीजेपी दलों में शामिल हैं जिनके इस बैठक में भाग लेने की संभावना नहीं है. (इनपुट: भाषा)
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