Delhi-NCR में क्यों बार-बार महसूस होते हैं भूकंप के तेज झटके?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 05, 2023, 11:59 PM IST

भूकंप के तेज झटकों से हिला दिल्ली-एनसीआर.

दिल्ली-NCR में आए इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश में था. अफगानिस्तान में आ रहे बार-बार तेज तीव्रता के भूकंप का असर, पूरे उत्तर भारत पर पड़ता है.

डीएनए हिंदी: दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश में था. अफगानिस्तान में रिक्टर स्केल पर 5.8 तीव्रता का भूकंप आया था. भूकंप का असर जम्मू-कश्मीर में देखने को मिला है. भूंकप से उत्तर भारत के कई इलाके प्रभावित हुए हैं. आइए जानते हैं ऐसी क्या वजहें हैं जिनकी चलते उत्तर भारत में बार-बार भूकंप आता है.

भू विशेषज्ञों का कहना है कि अल्पाइड बेल्ट में स्थित होने की वजह से अफगानिस्तान विशेष रूप से भूकंप के प्रति संवेदनशील है. यह प्रशांत रिंग ऑफ फायर के बाद दुनिया का दूसरा सबसे भूकंपीय सक्रिय क्षेत्र है.

एल्पाइड बेल्ट यूरेशिया के दक्षिणी भाग से हिमालय के माध्यम तक फैली है. यही बेल्ट हिंदुकुश से लेकर आल्प्स, एटलस पर्वत और काकेशस पर्वत सहित अटलांटिक में लगभग 15,000 किलोमीटर तक फैली हुई है. भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच की सीमा पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान की सीमा के पास मौजूद है. ऐसी स्थिति में यहां आने वाले हर भूकंप का असर, उत्तर भारत दिल्ली-एनसीआर में पड़ना तय है.

क्यों दिल्ली-NCR में बार-बार आता है भूकंप?
दिल्ली-NCR में बार-बार भूकंप आने की वजह अफगानिस्तान में आ रहे भूकंप हैं. अफगानिस्तान में भूकंप के झटके उत्तर भारत में महसूस किए जाने की सबसे बड़ी वजह फॉल्ट की गहराई है.

जब भूकंप की गहराई अधिक होती है, लेकिन उनकी तीव्रता कम होती है, तो शॉक तरंगें दूर तक जाती हैं और लंबे समय तक इनका असर देखने को मिलता है. 

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दूसरा तथ्य यह है कि दिल्ली-NCR जोन-4 में आता है. ऐसे इलाकों में भूकंप का खतरा करीब 18 फीसदी तक होता है. खरतनाक जोन में होने की वजह से यहां बार-बार भूकंप आते हैं. अगर इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 7 तीव्रता का भूकंप आ जाए तो यहां विनाशकारी स्थिति पैदा हो सकती है. 

उत्तर भारत में भूकंप का खतरा क्यों रहता है?
भारत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित हिमालय सबसे युवा पर्वत हैं और इनका निर्माण भारतीय प्लेट के नेपाली प्लेट की ओर बढ़ने की वजह से हुआ है. दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर स्थित होने के कारण इस क्षेत्र में बार-बार भूकंप आने का खतरा रहता है.

भारत सरकार ने देश की लगभग 59% भूमि को अलग-अलग तीव्रता के भूकंप संभावित क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया है. देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जिसमें जोन V सबसे अधिक सक्रिय है और जोन II सबसे कम सक्रिय है. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सहित आठ राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जोन V के अंतर्गत आते हैं, जो उन्हें भीषण भूकंप के लिए अतिसंवेदनशील बनाते हैं.

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