डीएनए हिंदी: अमेरिकी सरकार ने एक बार फिर भारत में 'मानवाधिकार हनन' का मुद्दा उठाया है, जिससे दोनों देशों के बीच फिर से तनाव पैदा हो सकता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने दुनिया भर में मानवाधिकार के हालात को लेकर अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत में अल्पसंख्यक समुदाय, सरकार विरोधियों और पत्रकारों को निशाना बनाए जाने की बात कही गई है. इस रिपोर्ट में भारत में गैंगस्टरों के घरों पर चल रहे बुलडोजर का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट में इस कार्रवाई के जरिये जानबूझकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घरों व प्रतिष्ठानों को निशाना बनाए जाने की बात कही गई है.
पहले जान लीजिए क्या है ये रिपोर्ट
अमेरिकी सरकार पूरी दुनिया में मानवाधिकार पर नजर रखने का दावा करती है. पूरे साल इकट्ठा किए डाटा के आधार पर अमेरिकी सरकार अपना विश्लेषण करती है और इसे एक सालाना रिपोर्ट के तौर पर हर साल जारी करती है. इसमें हर देश का जिक्र अलग से किया जाता है, जिसमें बताया जाता है कि वहां मानवाधिकार से जुड़े हालात अमेरिका के नजरिये से किस तरह के हैं. यह बेहद विस्तृत रिपोर्ट होती है. इस बार भी यह रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई है, जो साल 2022 को लेकर है.
रिपोर्ट में भारत में बुलडोजर कार्रवाइयों को लेकर है ये जिक्र
रिपोर्ट में कहा गया है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भारत सरकार पर मुस्लिम समुदाय के अपने आलोचकों को टारगेट करने का आरोप लगाया है. ऐसे लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं और उनके रोजगार के जरिये बरबाद किए जा रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2022 में भारत के अलग-अलग हिस्सों में अधिकारियों ने जिन दुकानों और संपत्तियों को अवैध बताकर ध्वस्तीकरण अभियान चलाया, उनमें से ज्यादातर मुस्लिमों की थीं. आलोचकों का कहना है कि यह ध्वस्तीकरण अभियान 20 करोड़ भारतीय मुस्लिमों के उत्पीड़न की कोशिश थी. सरकार ने कानून लागू करने के नाम पर इस कार्रवाई का बचाव करने की कोशिश की है.
यह भी कहा गया है रिपोर्ट में
अमेरिकी रिपोर्ट में भारतीय सरकारी जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए गए हैं. रिपोर्ट में है कि भारत में सरकारी एजेंसियां अवैध और मनमाने ढंग से हत्याएं करती हैं. जेलों में कैदियों से क्रूर, अमानवीय व्यवहार होता है. राजनीतिक कैदियों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जा रहा है. मीडिया पर अंकुश लगाया जा रहा है. पत्रकारों की गिरफ्तारियां हो रही हैं. इंटरनेट को बाधित किया जा रहा है.
रिपोर्ट में दिए गए हैं ये आंकड़े
अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में भारत में न्यायिक हिरासत में मरने वालों की संख्या 2116 रही, जो साल 2022 से 12 फीसदी ज्यादा है. उत्तर प्रदेश और बिहार इन मौत में सबसे आगे हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में केंद्र से लेकर राज्यों तक की सरकारों ने UAPA का दुरुपयोग किया. इस कानून की मदद से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को लंबे समय तक जेल में रखा गया है. उन्हें मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया जा रहा है.
ब्लिंकन के 'मानवाधिकार हनन' वाले बयान का आईना है रिपोर्ट
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट वहां के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के पिछले साल आए विवादित बयान का ही आईना लग रही है. दरअसल ब्लिकंन ने पिछले साल भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत में मानवाधिकार का मुद्दा उठाया था. ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका की नजर भारत में हो रही गतिविधियों पर है, जिनमें सरकार, पुलिस व जेल अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार उत्पीड़न को बढ़ावा देना भी शामिल है. उस समय यह विवादित बयान दब गया था, लेकिन अब इस रिपोर्ट के बाद यह दोबारा चर्चा में आ गया है.
अमेरिका का भारत की आलोचना करना बेहद हैरतअंगेज
अमेरिका की तरफ से भारत की आलोचना करना बेहद हैरतअंगेज मामला माना जा रहा है, क्योंकि दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय में आर्थिक रिश्तों से लेकर सामरिक संबंध भी गहरे हुए हैं. खासतौर पर वॉशिंगटन की तरफ से इस इलाके में चीन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत को दी जा रही अहमियत को देखते हुए इस आलोचना को बेहद दुर्लभ माना जा रहा है.
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