Electricity Amendment Bill: हजारों करोड़ के घाटे में हैं देश के अधिकतर डिस्कॉम, नया बिल कैसे बदलेगा हालात!

अभिषेक सांख्यायन | Updated:Aug 08, 2022, 08:59 PM IST

घाटे में जल रही हैं बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियां

Electricity Amendment Bill in Hindi: बिजली कंपनियों को घाटे से उबारने के लिए भारत सरकार एक संशोधन विधेयक लाई है जिसको लेकर अभी से विवाद शुरू हो गया है.

डीएनए हिंदी: विद्युत संशोधन विधेयक-2022 (Electricity Amendment Bill-2022) लोकसभा में पेश तो हुआ मगर विपक्ष के कड़े विरोध के कारण इसे विस्तृत चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee) को भेज दिया गया. इस बीच उर्जा मंत्री आर के सिंह ने विपक्ष पर भ्रामक प्रचार का आरोप लगाया. आइए सिलसिलेवार जानते हैं कि मोदी सरकार इस बिल को क्यों लाई है और इस पर विपक्ष की आपत्तियां क्या हैं? 

मार्च 2020 तक देश के सरकारी डिस्कॉम (DISCOM) यानी बिजली देने वाली कंपनियों का घाटा 5.23 लाख करोड़ रुपये हो गया था. इसमें से 70 प्रतिशत हिस्सा, देश के महज पांच राज्यों से आता है. इन राज्यों में तमिलनाडु  (99,860 करोड़ रुपये), राजस्थान (86,868 करोड़ रुपये), उत्तर प्रदेश (85,153 करोड़), मध्य प्रदेश (52,978 करोड़) और तेलंगाना (42,293 करोड़ रु) शामिल हैं. 31 मार्च 2020 तक देश के देश की सिर्फ़ दो ही ऐसे सरकारी डिस्काम मुनाफे में चल रहे थे. इसमें गुजरात का डिस्काम 1,336 करोड़ के फायदे में हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल के डिस्कॉम को 3 करोड़ का मुनाफा हुआ है.

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अदाणी को छोड़कर सभी निजी कंपनियां फायदे में  
जहां-जहां निजी कंपनियां बिजली के वितरण का काम कर रही हैं, वहां वे मुनाफा कमा रही हैं. देश में विद्युत वितरण क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों का मार्च 2020 में कुल मुनाफा 15453 करोड़ रुपये रहा है.  

 

 इनमें से पश्चिम बंगाल में काम कर रही CESC का मुनाफा 9620 करोड़ रुपये है. वहीं, दिल्ली में काम कर रही तीन कंपनियों BRPL (BSES राजधानी पावर लिमिटेड), BYPL (BSES यमुना पावर लिमिटेड)   और TPDDP (टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड) का कुल मुनाफा 3,972 करोड़ रुपये है. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में काम कर रही NPCL (नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड) 945 करोड़ के फायदे में है. वहीं, महाराष्ट्र में काम कर रही कंपनी (AEML) 31 करोड़ के नुकसान में है.

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निजी क्षेत्र का AT&C नुकसान कम  
बिजली वितरण कंपनियों को बिजली की पूरी कीमत नहीं मिलती. बिजली खरीदने और उसे उपभोक्ताओं को बेचने के बीच बिजली की यूनिट में नुकसान होना तय है. इस नुकसान को AT&C (Aggregate Technical & Commercial) लॉस कहा जाता है. इस नुकसान का एक तकनीकी पहलू है जिसे एक सीमा के नीचे कम नहीं किया जा सकता. वहीं, दूसरा पहलू बिजली की चोरी और बिजली के सही बिल बनाने और बिलों के भुगतान का है जिस पर सही प्रबंधन के जरिए काबू पाया जा सकता है.   

 

उदाहरण के लिए, राज्यों के वितरण कंपनियों का साल 2015-16 में लगभग देश की पूरी बिजली का लगभग एक चौथाई AT&C लॉस होता था. पिछले 5 सालों में इस नुकसान में सिर्फ 10 फीसदी की कमी आई है. साल 2019-20 में AT&C लॉस में कमी आई और यह 21.73 प्रतिशत रह गया लेकिन यह अब भी बहुत ज्यादा है. वहीं, निजी क्षेत्र में साल 2015-16 में यह नुकसान 12.44 फीसदी का था जो कि कम होकर 8.00 प्रतिशत रह गया है. निजी बिजली कंपनियों ने अपने AT&C नुकसान को 35 फीसदी से कम कर दिया है. 
 
साल दर साल बढ़ता जा रहा है डिस्कॉम का नुकसान  
साल दर साल देश के डिस्कॉम का घाटा बढ़ता ही जा रहा है. साल 2018 में जहां डिस्काम का घाटा 4.4 लाख करोड़ रुपये था, वह मार्च 2020 में बढ़कर 5.22 लाख करोड़ हो चुका था.  

 

पावर जनरेशन कंपनियों का बकाया 6 साल में 6 गुना बढ़ा  
विद्युत सेक्टर में समस्या नही है. सालों से इन्हें घाटे से उबारने के लिए योजनाएं बनती रही हैं लेकिन समस्या बिजली वितरण कंपनियों के घाटे की है जिसके कारण वो बिजली पैदा करने वाली कंपनियों को पैसा नहीं समय से नहीं चुकाती हैं. इस कारण इनका बकाया बढ़ता जा रहा है. बकाया बढ़ने के कारण बिजली कंपनियां को वित्तीय प्रंबधन गड़बड़ा जाता है. 

 

पिछले 6 सालों में बिजली वितरण कंपनियों का बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों पर बकाया 6 गुना बढ़ गया है. जुलाई 2016 में जहां बकाया 17,038 करोड़ रुपये का था वह जुलाई 2021 में बढ़कर 1.08 लाख करोड़ हो चुका था.  

नए बिल में भुगतान न होने की स्थिति में बिजली न देने का प्रावधान  
प्रस्तावित बिल में 2003 के बिजली कानून के कई सेक्शन को संशोधित करके NLDC (नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर) को और ताकत दी गई है. NLDC के देश भर में बिजली की व्यवस्था को देख रख करने वाली संस्था है. प्रस्ताविल बिल में संशोधन में कई जगह ये लिखा गया है कि NLDC के पास ये अधिकार हैं कि किसी तय कांट्रेक्ट के भुगतान न होने की स्थिति में बिजली सप्लाई नहीं करेगा. 

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नए बिल में क्या होगा बदलाव? 
विद्युत संशोधन विधेयक-2022 (Electricity Amendment Bill-2022) के तहत बिजली के वितरण के काम को निजी कंपनियों को सौंपा जा सकेगा. सरकार का कहना है कि इससे बिजली उपभोक्ताओं को मोबाईल कनेक्शन की तरह किसी की भी कंपनी के सेवा लेना संभव हो पाएगा. इस बिल के विरोधियों का कहना है कि इस बिल के बाद सरकारी कंपनी को सबको सेवा प्रदान करनी होगी. जबकि निजी डिस्कॉम कंपनियां उद्योगों और व्यावसायिक कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को सेवा प्रदान करेगी जिसमें ज्यादा मुनाफा होता है. 

प्रस्तावित बिल में NLDC को मजबूत बनाया गया है. उसके पास तय कांट्रेक्ट को पूरा न करने की सूरत में बिजली सप्लाई न करने का अधिकार होगा. इस पर विरोधियों का तर्क है कि बिजली समवर्ती विषय है. केन्द्र को इस पर बहुत ज्यादा अधिकार होना गलत है.  

किसानों और उपभोक्ताओं की सब्सिडी बंद होगी?
विपक्ष की ओर से कहा गया कि इससे किसानों और आम उपभोकताओं को दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती होगी. इस पर सरकार की ओर से उर्जा मंत्री ने कहा कि इस विधेयक द्वारा किसानों की दी जा रही किसी सब्सिडी में कोई कटौती नहीं होगी.

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