Russia-Ukraine Tension: क्या है False Flag Attack? क्या आज के समय में भी यह है संभव

| Updated: Feb 21, 2022, 09:23 PM IST

False Flag: "फॉल्स फ्लैग" हमला और इसमें शामिल आरोपी देशों का एक लंबा इतिहास रहा है.

डीएनए हिंदी: अमेरिकी अधिकारी पिछले कुछ हफ्तों से कई बार आगाह कर चुके हैं कि रूस ऐसी योजना बना रहा है कि उसकी सेना पर हमला होता दिखे और वह इसकी तस्वीरें दुनिया को दिखा सके. अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि इस तरह का "फॉल्स फ्लैग" अभियान रूस को यूक्रेन पर हमला करने का बहाना प्रदान करेगा.

"फॉल्स फ्लैग" (False Flag Attack) एक ऐसी सैन्य कार्रवाई होती है जहां पर एक देश छिपकर, जानबूझकर स्वयं की संपत्ति, इंसानी जान को नुकसान पहुंचाता  है जबकि दुनिया के सामने वह यह बताता है कि उसके दुश्मन देश ने ऐसा किया है. इसकी आड़ में ऐसा करने वाला देश अपने शत्रु देश पर हमला कर देता है.

इस योजना का भंडाफोड़ करते हुए बाइडन प्रशासन क्रेमलिन को युद्ध को जायज ठहराने वाले इस तरह का आधार बनाने से रोकना चाहता है. लेकिन इस तरह के "फॉल्स फ्लैग" हमले अब नहीं हो सकते, क्योंकि उपग्रह से ली गई तस्वीरें और मैदान के लाइव वीडियो व्यापक रूप से और तुरंत इंटरनेट पर साझा किए जाते हैं.

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ऐसे में आज फॉल्स फ्लैग हमले की जिम्मेदारी से बचना एक मश्किल काम है. "फॉल्स फ्लैग" हमला और इसमें शामिल आरोपी देशों का एक लंबा इतिहास रहा है. इस शब्द की उत्पत्ति समुद्री लुटेरों के लिए हुई जो मैत्रीपूर्ण (और झूठे) झंडों को लगाकर व्यापारी जहाजों को पर्याप्त रूप से नजदीक आने के लिए आकर्षित करते थे ताकि उन पर हमला किया जा सके.

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बीसवीं शताब्दी में "फॉल्स फ्लैग" से जुड़े कई मामले हैं. वर्ष 1939 में नाजी जर्मनी के एजेंटों ने पोलैंड की सीमा के निकट एक जर्मन रेडियो स्टेशन से जर्मन-विरोधी संदेश प्रसारित किए. उन्होंने कई नागरिकों की भी हत्या कर दी, जिन्हें उन्होंने पोलैंड पर जर्मनी के नियोजित आक्रमण का बहाना बनाने के लिए पोलिश सैन्य वर्दी पहनाई थी. उसी वर्ष सोवियत संघ ने फिनलैंड की सीमा के पास से सोवियत क्षेत्र में गोले दागे और फिनलैंड को दोषी ठहराया.