डीएनए हिंदी: भारत में कई तरह के नशीले पदार्थों (Sedative Drugs ) की अवैध बिक्री प्रतिबंधित है. कुछ खास मकसदों के अलावा ज्यादातर नशीली दवाओं, केमिकल और अन्य चीजों का इस्तेमाल प्रतिबंधित भी है. यही कारण है कि अक्सर पुलिस, कस्टम विभाग, नार्कोटिक्स (Narcotics) और अन्य विभागों के लोग अवैध तरीके से हेरोइन, गांजा, चरस, ड्रग्स, कोकीन और पोश्ता पाउडर जैसी चीजें बेचने या उनकी तस्करी करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लेते हैं. इन लोगों के खिलाफ संबंधित कानूनों के तहत कार्रवाई की जाती है और प्रतिबंधित पदार्थ जब्त कर लिए जाते हैं.
इन नशीली चीजों की तस्करी या अवैध इस्तेमाल करने पर नार्कोटिक ड्रग्स ऐंड साइकोट्रॉपिक सब्सटैंस एक्ट (NDPS एक्ट) के तहत कार्रवाई की जाती है. इसकी धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल या उससे ज्यादा की भी सजा हो सकती है और अदालत जुर्माना भी लगा सकती है. आइए समझते हैं कि पकड़े गए ड्रग्स का क्या किया जाता है...
Drugs को जलाना गैरकानूनी
कई बार ऐसी खबरें भी आती हैं कि ड्रग्स को जला दिया जाता है. पुलिस के लोग अक्सर शराब की बोतलें तोड़ देते हैं या शराब को गड्ढा खोदकर उसमें डाल दिया जाता है. हालांकि, NDPS एक्ट के मुताबिक, भारी मात्रा में बरामद और जब्त किए गए ड्रग्स को जलाना गैर-कानूनी है. पर्यावरण के लिहाज से और नशे के हवा में फैलने की आशंका को देखते हुए इन पदार्थों को नष्ट करने के लिए अलग-अलग तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं.
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साल 2015 में, वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राजस्व विभाग ने आदेश जारी किया था कि सभी राज्य यह सुनिश्चित करें कि बरामद या जब्त किए जाने वाले ड्रग्स को तुरंत नष्ट कर दिया जाए. यह आदेश जारी करके कोशिश की गई थी कि जब्त किए जाने वाले ड्रग्स का दुरुपयोग न हो और वह किसी भी तरह से तस्करों के पास फिर से न पहुंच जाए. पुलिस अधिकारी बताते भी हैं कि कई बार ड्रग्स की छोटी मात्रा गायब हो जाती है. ऐसे में सख्त निर्देश हैं कि जब्त किए गए ड्रग्स के सैंपल को जांच के लिए भेजकर बाकी के ड्रग्स को नष्ट कर दिया जाए. ड्रग्स से जुड़ी कानूनी कार्रवाई के बाद इसे नष्ट किया जाना ज़रूरी है. कुछ राज्यों की पुलिस का कहना है कि बिना कोर्ट में पेश किए ड्रग्स को नष्ट करने की अनुमति नहीं है. इससे पहले, इसकी जांच की जाती है, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जाती है और पूरा रिकॉर्ड भी मेनटेन रखा जाता है.
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ड्रग्स के निपटारे के लिए बनती है कमेटी
सभी राज्य सरकारों को 2015 में ही एक आदेश दिया गया था कि वे एक ड्रग डिस्पोजल कमेटी बनाएं ताकि ड्रग्स को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों के हिसाब से नष्ट किया जा सके. इस कमेटी में एसपी रैंक का एक पुलिस अधिकारी, कस्टम और सेंट्रल एक्साइज विभाग के जॉइंट कमिश्नर और डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) के जॉइंट डायरेक्टर और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी होने चाहिए.
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हालांकि, यह भी साफ कहा गया है कि ये ड्रग्स तब ही नष्ट किए जा सकते हैं जब वे एक तय मात्रा से ज्यादा हों. उदाहरण के लिए- हेरोइन (5 किलो), हशीश (110 किलो), हशीश ऑइल (20 किलो), गांजा (1000 किलो), कोकीन (दो किलो) और मैंड्रैक्स (3000 किलो) होने पर ही इन्हें नष्ट किया जा सकता है. इसके अलावा, कुछ स्थानों की हिसाब से अन्य ड्रग्स के लिए नियम तय होते हैं. उनके हिसाब से इन्हें नष्ट किया जाता है.
बॉयलर में जलाए जाते हैं ड्रग्स
कई जगहों पर ड्रग्स को 1000 डिग्री सेल्सियस पर बॉयलर में जला दिया जाता है जिससे ये वातावरण में नहीं फैल पाते और इस तरह जलाना सुरक्षित भी होता है. NDPS एक्ट के तहत सिंथेटिक ड्रग्स की नीलामी की अनुमति भी दी गई है. इसी नियम के तहत, रीसाइकल कर सके जाने वाले ड्रग्स को दवा कंपनियों को दे दिया जाता है और इससे सरकार की कमाई भी हो जाती है. हालांकि, सिंथेटिक ड्रग्स न होने और कम मात्रा होने पर पुलिस या अन्य विभागों के लोग इसे खुले में जला देते हैं.
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उदाहरण के लिए, गांजा या हशीश जैसे कम हानिकारिक नशीले पदार्थों की मात्रा 100 ग्राम या 200 ग्राम होने पर उसे खुले में जलाया जाता है. पुलिस अधिकारी बताते हैं कि कई बार ड्रग्स को इकट्ठा किया जाता है और पर्याप्त मात्रा हो जाने पर इन्हें बॉयलर में जला दिया जाता है.
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