क्या होता है Phosphorus Bomb? रूस पर लगा जिसके इस्तेमाल का आरोप वो बम कितनी मचा सकता है तबाही 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 15, 2022, 01:06 PM IST

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Russia Ukraine War: रूस पर यूक्रेन में व्हाइट फॉस्फोरस बमों को इस्तेमाल करने का आरोप लगा है. इस बम को काफी खतरनाक माना जाता है.

डीएनए हिंदीः रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) रोज एक नए मुकाम तक पहुंच रही है. रूस लगातार यूक्रेन के शहरों को निशाना बना रहा है. इसमें मिसाइल हमले के साथ ही कई घातक बमों के इस्तेमाल का भी रूस पर आरोप लग रहा है. यूक्रेन ने रूस पर पूर्वी लुहांस्क के पोपास्ना शहर में फॉस्फोरस बम (Phosphorus Bomb) के इस्तेमाल का आरोप लगाया है. इस बम को काफी खतरनाक माना जाता है. अगर कोई इसकी चपेट में आ जाए तो उसके बचने की संभावना ना के बराबर होती है. 

क्या होता है फॉस्फोरस बम?
इस बम को काफी घातक माना जाता है. इसमें फॉस्फोरस का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक केमिकल होता है. वैसे को यह रंगहीन होता है लेकिन कई बार यह हल्का पीला जैसा दिखाई देता है. फॉस्फोरस मोम जैसा एक पदार्थ है जिसमें से लहसुन जैसी गंध आती है. जैसे ही यह ऑक्सीजन के संपर्क में आता है तो यह जलने लगता है. जंग में इस बन का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन रिहायशी इलाकों में इस बम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है. 

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कितना घातक है फॉस्फोरस बम?
यह बम कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस बम के फटने के बाद तापमान 800 डिग्री तक पहुंच जाता है. ऐसे में कोई भी चीज जलकर खाक हो जाती है. अगर इसे किसी खुली जगह पर गिराया जाए तो ये सैकड़ों किलोमीटर के दायरे तक फैल सकता है. ये बम तब तक जलते रहते हैं जब तक यह खत्म नहीं हो जाते हैं या उस जगह ऑक्सीजन पूरी तरह खत्म नहीं हो जाती है. 

क्यों हैं जानलेवा?  
अगर कोई व्यक्ति इन बमों की चपेट में आ जाए तो उसकी पल भर में मौत हो जाती है. अगर कोई दूर पर भी है तो उसकी त्वचा पर इसका प्रभाव पड़ता है. त्वचा में जलन होने लगती है और कई बार उससे मौत भी होह जाती है. यह बम मांस से चिपक जाता है. इसके बाद त्वचा के संपर्क में फॉस्फोरिक पेंटोक्साइड जैसे केमिकल बनाने लगता है. ये केमिकल स्किन के पानी से रिएक्शन करता है और फॉस्फोरिक एसिड बनाता है जो और खतरनाक है. एक बार कोई इसकी चपेट में आ जाएं तो ये अंदरूनी त्वचा में जाकर इसके टिशू कई अंगों को खत्म खत्म करने लगते हैं और इसका इलाज भी धीेने होता है. 

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क्या है इस बम को लेकर कानून?
इस बम को काफी खतरनाक श्रेणी में रखा गया है. इसी कारण 1977 में स्विट्जरलैंड के जेनेवा में हुए कन्वेंशन में व्हाइट फॉस्फोरस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया. हालांकि, जंग में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद 1997 में केमिकल हथियार (Chemical Weapons) के इस्तेमाल को लेकर एक कानून बना था. इसमें तय किया गया कि अगर इस बम का इस्तेमाल रिहायशी इलाकों में किया गया तो व्हाइट फॉस्फोरस को केमिकल वेपन माना जाएगा. बता दें कि इस कानून पर रूस ने भी हस्ताक्षर किए थे.

कई बार हुआ बम का इस्तेमाल  
इस बम का सबसे पहले इस्तेमाल प्रथम विश्व में किया गया. ब्रिटिश सेना ने रॉकेट, ग्रेनेड और बमों के जरिए जापान के खिलाफ इसका इस्तेमाल किया था. वहीं दूसरे विश्व युद्ध में नाजी सेना ने ब्रिटेन पर हमला किया तो कांच की बोतल में फॉस्फोरस को भरकर इस बम का इस्तेमाल किया गया. इतना ही नहीं इराक और अमेरिका युद्ध में भी इसका इस्तेमाल किया गया था. अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच जारी जंग में भी इसका इस्तेमाल किया गया था.  

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