डीएनए हिंदीः रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने कवच सुरक्षा तकनीक का सफल परीक्षण किया. इस ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो गाड़ियों के बीच आमने-सामने से टक्कर नहीं होगी. इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि इसे देश में ही तैयार किया गया है. इसके लिए 2022 के बजट में 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को ‘कवच’ के तहत लाने की योजना के बारे में ऐलान किया गया था. भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने 2017 में m-कवच ऐप को लॉन्च किया था. इससे यात्रियों को काफी सुरक्षा मिलेगी.
क्या है कवच तकनीक?
कवच (Kavach Technology) देश में ही विकसित की गई ऐसी एंटी-कोलिजन डिवाइस है, जिससे एक्सीडेंट को रोक जा सकता है. इतना ही नहीं दुर्घटनाओं के आंकड़ों को घटाकर शून्य पर लाने में भी ये तकनीक मददगार साबित हो सकती है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि जब डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या फिर किसी अन्य खराबी जैसी कोई मैन्युअल गलती दिखाई देती है, तो ट्रेनें भी अपने आप रुक जाती हैं. उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद इसे चलाने में 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा, जबकि दुनिया भर में ऐसी तकनीक के लिए करीब 2 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
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कैसे काम करता है सिस्टम
कवच सुरक्षा सिस्टम इस तरह से तैयार किया गया है कि अगर एक लोको इंजन के सामने दूसरा लोको आ जाए तो 380 मीटर की दूरी से कवच इंजन को तुरंत रोक देता है. सामने फाटक आने पर कवच ड्राइवर के बिना आप सीटी बजाना शुरू कर देता है. रेलवे ने लूप-लाइन क्रॉसिंग को भी टेस्ट किया गया, जिसमें लूप-लाइन को पार करते समय कवच ऑटोमैटिक रूप से इंजन की स्पीट को घटाकर 30 किमी प्रति घंटे कर देता है. SPAD टेस्ट में देखा गया कि रेड सिग्नल सामने होने पर कवच इंजन को आगे बढ़ने नहीं दे रहा है. रियर-एंड टक्कर टेस्ट भी सफल रहा है. कवच ने सामने से दूसरे लोको के आने पर 380 मीटर पहले इंजन को रोक दिया.
क्या है सरकार का प्लान
वित्त मंत्री के बजट के अनुसार कवच तकनीक से देश में आने वाले दिनों में दो हजार किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क तैयार किया जाएगा. यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से ये तकनीक काफी मददगार साबित हो सकती है. मोदी सरकार ने इस साल बजट में रेल मंत्रालय को 140367.13 करोड़ रुपये आवंटित किए गये हैं जो पिछले वित्त वर्ष से 20,311 करोड़ रुपये अधिक है.