डीएनए हिंदीः श्रीलंका (Sri Lanka) में आर्थिक संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आपातकाल का फैसला भले ही वापस ले लिया हो लेकिन देश के हालात लगातार बिगड़े रहे हैं. लोगों के पास ना खाने को कुछ है और ना ही रोजगार के साधन बचे हैं. पर्यटन के लिए मशहूर इस देश में फिलहाल कोई आना नहीं चाहता है. जरूरी सामान की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. आखिर श्रीलंका की हालत इतनी कैसे बिगड़ गई? आइए समझते हैं.
वो फैसला जिससे बिगड़ गए हालात
कोलंबो से लगभग 170 किलोमीटर की दूरी पर ऊंची पहाड़ियों के बीच नुआरा एलिया मौजूद है. इस इलाक़े में चाय के बाग़ान काफ़ी तादाद में हैं. श्रीलंका की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार ही चाय की खेती और इसका निर्यात है. इस वजह से श्रीलंका को विदेशी मुद्रा भारी संख्या मिलती थी. श्रीलंका सरकार के एक फ़ैसले ने चाय बागान के बिज़नेस को बहुत मुश्किल के दौर में ला दिया है. दरअसल श्रीलंका ने केमिकल फर्टिलाइज़र के आयात पर बैन लगाने का फ़ैसला लिया था जिसकी वजह से यहां के कृषि उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ा और खाद की कमी से चाय का उत्पादन लगातार कम होता चला गया.
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खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान पर
श्रीलंका के इस फैसले के बाद चाय बागान में काम करने वाले लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया. चाय बागानों में खाद की भारी कमी हो गई है. खाद की कमी के कारण उत्पादन कम हो गया. इन हालात में चाय बागान से जुड़े लोग अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं.
51 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज
चीन का श्रीलंका के ऊपर 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है. श्रीलंका ने सिर्फ भारत और जापान ही नहीं आईएमएफ (IMF), एशियन डवलैपमेंट बैंक जैसे संस्थानों से उधार ले रखा है. श्रीलंका पर कर्ज कितनी तेजी से बढ़ रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है.
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श्रीलंका के कुल कर्ज का प्रतिशत
47% बाजार से लिया गया कर्ज
2% भारत का कर्ज
13% एशियन डवलैपमैंट बैंक
10% चीन का कर्ज
10% जापान का कर्ज
9.9% वर्ल्ड बैंक का कर्ज
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