Taj Mahal Controversy: क्या है ताजमहल के 22 कमरों का राज? सीढ़ियों के नीचे शिवमंदिर की क्या है सच्चाई

Written By कुलदीप सिंह | Updated: May 11, 2022, 08:49 PM IST

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Taj Mahal Controversy: हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. इसमें मांग की गई है कि ताजमहल के 22 कमरे खोलने की इजाजत दी जाए.  

डीएनए हिंदीः काशीविश्वनाथ (Kashi Vishwanath Temple) और ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Musjid) के बाद अब ताजा विवाद ताजमहल (Taj Mahal) को लेकर शुरू हो गया है. काफी समय से एक पक्ष इसे हिंदुओं का मंदिर बताता आया है. कोई इसे शिवमंदिर तो कोई तेजोमहालय बताता है. अब भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में इसे लेकर एक याचिका दायर की है. इसमें ताजमहल के नीचे 22 कमरों को खोलने की मांग की गई है जिससे मालूम चल सके कि उसके भीतर देवी देवताओं की मूर्तियां और शिलालेख हैं या नहीं? 

1934 में खुले थे ताजमहल के कमरे
ताजमहल के जिन 22 कमरों को लेकर याचिका दाखिल की गई है वह दशकों से बंद हैं. इस मामले में इतिहासविदों का कहना है कि ताजमहल में मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हैं, जिन्हें बंद कर दिया गया है. उनका कहना है कि यह कमरे मुगल काल से बंद हैं. आखिरी बार इन कमरों को 1934 में खोला गया था. तब यहां केवल निरीक्षण किया गया था. उसके बाद से ये बंद हैं. ताजमहल में चमेली फर्श पर यमुना किनारे की ओर जाने के लिए दो जगह सीढ़ियां बनी है. इन सीढ़ियों को ऊपर लोहे का जाल लगाकर बंद कर दिया गया है. बताया जाता है कि 40 से 45 साल पहले तक यहां जाने का रास्ता था लेकिन बाद में इन्हें बंद कर दिया गया.  

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शिवमंदिर को लेकर उठते रहे हैं सवाल 
ताजमहल में शिवमंदिर को लेकर सवाल काफी समय से उठते रहे हैं. पहले वहां तेजोमय या तेजोमहालय नामक महादेव का मंदिर था. कई इतिहासकार ऐसा दावा करते हैं कि शाहजहां ने मंदिर तोड़कर उसकी जगह ताजमहल बनवाया था. इसी मामले को लेकर याचिका दाखिल की गई है. इसमें कहा गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ताजमहल के 22 कमरे खोलने की इजाजत दी जाए. जिससे यह साफ हो जाए कि वहां हिंदू मूर्तियां और शिलालेख छिपे हैं या नहीं. 

दरअसल ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद जब शुरू हुआ जब इतिहासकार पीएन ओक की किताब "ट्रू स्टोरी आफ ताज' सामने आई. ओक ने अपनी किताब में ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे किए. इस किताब में राजा जय सिंह के फरमानों का जिक्र करते हुए ताजमहल में गणेश, कमल के फूल और सर्प के आकार की कई आकृतियां दिखाई देने का दावा किया गया.  

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औरंगजेब के पत्र का भी जिक्र
ताजमहल को लेकर रजनीश सिंह के वकील रुद्र विक्रम सिंह का भी एक अलग तर्क है. उनका कहना है कि 1600 में भारत आए लोगों ने अपनी यात्रा के विवरण में ताजमहल वाली जगह पर ही मानसिंह के महल का उल्लेख किया था. इसके बाद ताजमहल 1653 में बना था. इसी बीच एक पत्र भी सामने आया है. 1651 में लिखे एक पत्र में औरंगजेब लिखता है कि अम्मी के मकबरे (Aurangzeb Mother Tomb) की मरम्मत कराने की जरूरत है. 

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