डीएनए हिंदी: चीन की चालाकियों को नाकाम करने के लिए मोदी सरकार (Modi Government) लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर बसे गांवों को तकनीकी तौर पर विकसित करने पर काम कर रही है. इसके लिए एक खास प्लान भी तैयार किया गया है जिसे वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम कहा जा रहा है. हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अरुणाचल प्रदेश के किबितू गांव में इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था लेकिन ये वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम क्या है और इसके जरिए भारत सरकार का मकसद क्या है चलिए आपको बताते हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार बॉर्डर वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के पहले फेज में डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत केंद्र सरकार के मंत्री और IAS अधिकारी वाइब्रेंट विलेज के 662 गांव में जाकर गांव वालों के साथ रात बिताएंगे और इस प्रोजेक्ट के विकास कार्यों की समीक्षा करेंगे. इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत सरकार पर्यटन को विस्तार देने के साथ ही चीन की चुनौतियों से भी निपटने में भारत को मजबूत करना चाहती है.
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क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की बात करें तो इसके तहत भारत सरकार का मकसद भारत-चीन सीमा पर बसे गांवों का समग्र विकास है. इसके लिए केंद्र सरकार ने 4,800 करोड़ रुपये का खर्च निश्चित किया है. इसके अलावा इन गांवों में सड़कों के नेटवर्क को मजबूत करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये अलग से आवंटित किए गए हैं.
भारत सरकार ने जिन गांवों को चुना है, ये वह गांव हैं जो कि भारत-चीन सीमा पर फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में जाने जाते हैं. खास बात यह है कि गांवों में चल रहे बॉर्डर प्रोग्राम्स से इसका कोई लेना देना नहीं है. वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम उससे अलग प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट का मुआयना सीधे तौर पर केंद्र सरकार के अधिकारी करेंगे कि काम ठीक से हो रहा है या नहीं.
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5 राज्यों के 662 गांवों का होगा कायाकल्प
जानकारी के अनुसार इस वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सरकार ने 5 राज्यों के 662 सीमावर्ती गांवों का विकास करने का प्लान तैयार किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने उत्तरी सीमा के साथ लगे 4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश यानी अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख में 19 जिलों के 46 सीमावर्ती ब्लॉकों में 2,967 गांवों के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) को अनुमोदन प्रदान किया है.
सरकार ने 5 राज्यों के 2967 गांवों में से प्राथमिकता के आधार पर 662 गांव विकास के लिए सेलेक्ट किया है. बता दें कि इनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव, हिमाचल प्रदेश के 75, लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र के 35, सिक्किम के 46 और उत्तराखण्ड के 51 सीमावर्ती गांव शामिल हैं, इन सभी की सीमा चीन से लगती है.
चीन का सामना करने का प्लान?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने कई भाषणों में कहा है कि, "सीमा पर बसे हुए लोग और गांव देश के लिए स्ट्रैटिजिक एसेट्स हैं." भारत सरकार का मकसद है कि इन गावों के विकास के जरिए यहां पर्यटन को विस्तार दिया जा सकता है, साथ ही चीन के नापाक मंसूबों को तुरंत बर्बाद करने में भी आसानी होगी.
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बता दें कि चीन ने भी अपने बॉर्डर को अत्याधुनिक तरीके से विकसित किया है, जिसके चलते वह भारत पर हावी होने का प्रयास करता रहता है. ऐसे में भारत सरकार द्वारा बॉर्डर क्षेत्रों में विकास कार्य अधिक होंगे तो चीन की चालबाजियों को भारतीय सेना द्वारा त्वरित मुंह तोड़ जवाब दिया जा सकेगा. इन गांवों में रहने वाले लोग काफी कम हैं लेकिन वे ऐसे हैं जो कि भारतीय सेना के लिए ही मदद का काम करते हैं. सीमा पार की गतिविधियों से सेना का रूबरू कराते हैं, ऐसे में भारत सरकार इन सभी के लिए मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है.
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