डीएनए हिंदी: हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री रहे पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया. उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) को भी गिरफ्तार किया गया और उनके कई ठिकानों पर छापेमारी की गई. इस छापेमारी में 50 करोड़ से ज़्यादा कैश बरामद हुआ है. यह कैश इतना था कि ईडी के अधिकारियों को मशीन से पैसे गिनने में भी काफी वक्त लग गया. ऐसे मामले हमेशा से आते रहे हैं. ईडी, सीबीआई (CBI) जैसी एजेंसियां भ्रष्टाचार के मामलों में छापेमारी करती हैं और अवैध रूप से कमाए गए पैसों, सोने-चांदी के गहनों और अन्य संपत्तियों को जब्त कर लेती हैं.
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इन एजेंसियों के अलावा चुनावों के समय चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त किए गए अधिकारी भी भारी मात्रा में पैसे बरामद करते हैं. पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में ईडी ने कई जगहों पर छापेमारी की है और भारी मात्रा में कैश बरामद किया है. आइए जानते हैं कि आखिर इन पैसों को जब्त किए जाने के बाद क्या किया जाता है...
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कौन-कौन जब्त कर सकता है पैसे?
मुख्य तौर पर देखा जाए तो पैसे या गहने जब्त करने का काम प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग या चुनाव आयोग के अधिकारी करते हैं. इन अपराधों में आय से अधिक संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध संपत्ति रखने जैसे मामलों के तहत कार्रवाई की जाती है. अगर आयकर विभाग के लोग ये पैसे जब्त करते हैं तो वे आयकर के नियमों के हिसाब से उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. व्यक्ति को कोर्ट में साबित करना होता है कि ये पैसे उसने सही तरीके से कमाए हैं. साथ ही, उसे यह भी बताना होता है कि ये पैसे उसने किन माध्यमों से कमाए हैं.
चुनाव के समय बरामद किए गए कैश को जब्त करने के बाद चुनाव से जुड़े अधिकारी यह मामला आयकर विभाग के हवाले कर देते हैं. आयकर विभाग अपने हिसाब से इसकी जांच करता है. अगर व्यक्ति यह साबित कर देता है कि ये पैसे उसने सही माध्यमों से कमाए हैं और इनके लिए टैक्स जमा किया है तो पैसे उसे लौटा दिए जाते हैं. अवैध रूप से पैसे कमाने का दोष सिद्ध होने पर व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाती है और ये पैसे सरकार के खजाने में जमा करा दिए जाते हैं.
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सरकारी खजाने में चले जाते हैं पैसे?
नियमों के मुताबिक, ये पैसे सरकारी खजाने में तभी भेजे जाते हैं जब कोर्ट में चल रहा केस खत्म हो जाए और दोष सिद्ध हो जाए. कोर्ट में केस चलते रहने तक संबंधित एजेंसियां इन पैसों को अलग-अलग तरीके से अपने पास रखती हैं. कई बार ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियां देश के केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की भी मदद लेती हैं. आरबीआई अपने हिसाब से इन पैसों को सुरक्षित रखती है.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि ईडी की ओर से जब्त किए 1 लाख करोड़ रुपये तक की राशि को ईडी अपने पास ही रख सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी के पास अभी बैंक घोटालों से जुड़े 40,923 करोड़ रुपये, चिट-फंड घोटालों के 16,800 करोड़ रुपये और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों के 13,831 करोड़ रुपये की संपत्ति पड़ी है. साल 2005 में PMLA कानून लागू होने के बाद से ईडी ने अभी तक कुल 5,422 केस दर्ज किए हैं.
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पैसों के अलावा अन्य संपत्तियों के मामले में इन एजेंसियों को नीलामी का अधिकार है. केस खत्म होने और दोष सिद्ध हो जाने के बाद ये केंद्रीय एजेंसियां सोने-चांदी के गहनों, गाड़ियों, घर, फ्लैट और बंगलों जैसे अचल संपत्ति को नीलाम कर सकती हैं. अगर इन मामलों में कोई दूसरी प्रभावित पक्ष होता है तो उसकी घाटे की पूर्ति इन्हीं पैसों से की जाती है. बाकी के बचे पैसों को केंद्रीय एजेंसियां सरकारी खजाने में जमा करवा देती हैं.
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