डीएनए हिंदी: Tarek Fateh Death- पाकिस्तान के सबसे बड़े आलोचक और इस्लाम की कट्टर परंपराओं के घोर विरोधी, ये छवि थी मशहूर लेखक व पत्रकार तारिक फतेह की. तारिक फतेह का सोमवार 24 अप्रैल को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर तारिक के निधन की जानकारी उनकी बेटी नताशा फतेह ने सभी के साथ ट्वीट के जरिये साझा की है. नताशा ने ट्वीट में अंग्रेजी में लिखा, पंजाब का शेर, हिन्दुस्तान का बेटा, कनाडा से प्यार करने वाला, सच्चा वक्ता, न्याय के लिए लड़ने वाला और दलितों और शोषितों की आवाज तारिक फतेह का निधन. उन्होंने उन सभी लोगों के साथ अपने क्रांति जारी रखी, जो उनको प्यार करते थे. बता दें कि खुद को दिल से हिंदुस्तानी मानने वाले तारिक लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे.
कहते थे 'मुझे बंटवारे ने बनाया पाकिस्तानी'
तारिक फतेह का परिवार पाकिस्तान बनने से पहले बंबई (अब मुंबई) में रहता था. बंटवारे के बाद पाकिस्तान के कराची पहुंचे फतेह परिवार में 20 नवंबर, 1949 को तारिक का जन्म हुआ. इसके चलते वे कहा करते थे कि वे दिल से हिन्दुस्तानी हैं, लेकिन बंटवारे ने उन्हें पाकिस्तानी बना दिया. पढ़ने में तेजतर्रार तारिक ने कराची यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री की पढ़ाई स्कॉलरशिप के साथ की. यूनिवर्सिटी में शिया लड़की नरगिस तपाल से दोस्ती के चार साल बाद उन्होंने शादी कर ली थी. तारिक की दो बेटियां हैं, जिन्हें वे सुन्नी-शिया (मुस्लिमों के दो आपस में कट्टर विरोधी वर्ग) के शॉर्ट-नेम सु-शि कहकर पुकारते थे.
पेशे से बने पत्रकार, दो बार सरकार ने भेजा जेल
तारिक ने साल 1970 में कराची के 'सन' अखबार से पत्रकारिता की शुरुआत की. बाद में पाकिस्तान टेलीविजन में प्रोड्यूसर हो गए. वे प्रोग्रेसिव विचारों के हिमायती थे और इस्लाम की कट्टर रवायतों के घोर विरोधी. इसके चलते वे लगातार जनरल जिया उल हक की सैनिक सरकार की मुखालफत करते थे. इस मुखालफत के कारण तारिक को दो बार जेल भेजा गया. अपनी जान को खतरा देखकर साल 1978 में वे सऊदी अरब शिफ्ट हो गए. वहां उन्होंने करीब 10 साल एडवरटाइजिंग ऑफिसर के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने 1987 में कनाडा की नागरिकता ले ली. वे वहां टोरंटो के पास एजेक्स शहर में बस गए और अपनी पत्नी के साथ ड्राइक्लीनिंग कंपनी चलाने लगे.
पाकिस्तान के सब मुस्लिमों को बताते थे भारतीय
तारिक का कहना था कि पाकिस्तान और हिंदुस्तान के अधिकतर मुस्लिम हिंदू हैं, क्योंकि उनके पूर्वज हिंदू ही थे. वो मानते हैं कि उनके इस्लाम की जड़ें यहूदीवाद में हैं और उनकी पंजाबी संस्कृति, सिखों से जुड़ी हुई है. उनके खुद को भारतीय मुस्लिम कहने पर सवाल हुए तो उन्होंने कहा, 5,000 साल पुरानी भारतीय सभ्यता है. सिंधु और उसकी सहायक नदियों के बीच पैदा हने वाले की भारतीयत पर सवाल से ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं है. यह बिल्कुल वैसा है कि फ्रांसीसी को कहें कि वो यूरोपीय नहीं है. तारिक ने कहा था कि पाकिस्तान में रहकर भी मैं बुल्ले शाह और बाबा फरीद का उतना ही करीबी वंशज था, जितना अशोक महान का. उन्होंने एक ब्लॉग में लिखा था, मैं ऐसा भारतीय हूं, जो पाकिस्तान में पैदा हुआ है. मैं सलमान रुश्दी के उन 'मिडनाइट चिल्ड्रेन' में से हूं, जिन्हें महान सभ्यता के पालने से उठा कर स्थायी शरणार्थी बना दिया गया. तारिक कनाडा के सीटीएस टेलीविजन पर मुस्लिम क्रॉनिकल कार्यक्रम भी किया करते थे. इसी दौरान उन्होंने 'चेंजिंग अ मिराज : द ट्रैजिक इल्युजन ऑफ ऐन इस्लामिक स्टेट' किताब लिखी थी, जिससे उन्हें असली प्रसिद्धि मिली.
इस्लामी कट्टरपंथ के थे धुर विरोधी, जारी हुए थे सिर कलम करने के फतवे
तारिक मुस्लिम समाज की कई परंपराओं को बुराइयां बताकर उनका बेहद विरोध करते थे. उनके एक से ज्यादा शादी, बाल विवाह और गैरमुस्लिमों को काफिर कहने जैसी बातों का विरोध करने से कट्ट्ररपंथी मुस्लिम बेहद नाराज रहते थे. जीटीवी पर 'फतह का फतवा' कार्यक्रम में वे मुस्लिम समुदाय के कट्टर और विवादित विषयों पर खुलकर बात करते थे. इस्लामी कट्टरपंथ के धुर विरोधी थे. वे कहते थे कि आत्मा को इस्लाम से जोड़ो, देश का इस्लामीकरण मत करो. इसके लिए उनका सिर काटने के फतवे भी मौलानाओं ने जारी किए थे. साल 2017 में बरेली के एक मुस्लिम संगठन ने तारिक फतेह का सिर कलम करने वाले को 10 लाख रुपए का इनाम देने का ऐलान किया था. ये जानकर हैरानी होगी कि इस्लाम विरोधी कहे जाने वाले तारिक नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद जाने को नहीं चूकते थे.
कैंसर की जानकारी मिली तो हंस पड़े
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तारिक को जब रीढ़ की हड्डी के कैंसर की जानकारी मिली तो वे मुस्कुरा दिए थे. इतनी बुरी खबर पर भी वे ऐसे सहज थे कि अस्पताल में क्रिकेट की गेंद को माथे पर रखकर बैलेंस करने की प्रैक्टिस करते थे. ये देखकर उनका हालचाल पूछने के लिए आने वाले भी हैरान रह जाते थे. तारिक खुद बताते थे कि मेरे करीबी दोस्त आए तो मैं टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहा था. मुझे ऐसा करते देखकर मेरे दोस्त ने भी मन ही मन सोचा होगा कि मुझे बीमार होने की भी तमीज नहीं है.
पाकिस्तान पर कसते थे जमकर तंज
तारिक पाकिस्तानी हुक्मरानों पर बेहद तंज कसते थे. वे कहते थे कि भारत-अफगानिस्तान से साझा संस्कृति शेयर करने वाले पाकिस्तान के लिए दुश्मन हैं, जबकि उसे दुत्कारने वाले ईरान और सऊदी अरब को वह अपना खैरख्वाह मानता है.
भारत के थे घोर समर्थक, कहते थे यहां मुस्लिमों को बात कहने का अधिकार
तारिक भारत के पक्के समर्थक थे. फ्राइडे टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उनसे जब कहा गया कि भारत मे मुस्लिमों से भेदभाव होता है तो उन्होंने कहा था कि हां ऐसा है, लेकिन फिर भी मैं भारत में रहना चाहूंगा. यहां मुझे कम से कम अपनी बात कहने का अधिकार तो है. जिन देशों में इस्लाम के नाम पर औरतों पर जुल्म होता है, वहां रहने का क्या लाभ.
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