डीएनए हिंदी: 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित सफलता मिली है. बीजेपी को तीनों राज्यों में प्रचंड बहुमत मिला है. चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आ चुके हैं लेकिन अभी तब भाजपा ने जीते हुए राज्यों में मुख्यमंत्री पद के चेहरे का ऐलान नहीं किया है. बीजेपी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि नए को चुने या पुराने पर भरोसा जताए. मध्य प्रदेश बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे शिवराज सिंह चौहान हैं. छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और राजस्थान में वसुंधरा राजे. ऐसा लग रहा है कि बीजेपी तीनों चेहरों को दोबारा सत्ता देने के मूड में नहीं है.
शिवराज से लेकर वसुंधरा तक की भूमिका बदल सकती है. हालांकि बीजेपी के लिए यह भी आसान नहीं है. शिवराज और वसुंधरा खेमे के विधायक ऐसे नहीं हैं जो उन्हें छोड़कर पाला बदल लें. जमीनी स्तर पर बीजेपी को ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. शिवराज से लेकर वसुंधरा तक, बेहद मजबूत नेता माने जा रहे हैं. दूसरे उम्मीदवारों की दावेदारी इतनी आसान नहीं है जितनी समझी जा रही है. न तो ज्योतिरादित्य सिंधिया इतने मजबूत हैं कि शिवराज को दरकिनार कर उन्हें सत्ता सौंप दी जाए, न ही बाबा बालकनाथ और किरोड़ीमल कि वसुंधरा को दरकरार कर बीजेपी उन्हें चुने.
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बीजेपी ने तीनों राज्यों में आत्ममंथन के लिए पर्यवेक्षकों को उतार दिया है. अब पर्यवेक्षक ही तय करेंगे कि किसी सत्ता की चाबी सौंपी जाए. शिवराज सिंह चौहान अपनी योजनाओं के बलबूते जीते हैं. वह अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं, जनता ने उनके चेहरे पर मुहर भी लगाई है. लाडली बहन योजना से लेकर क्षेत्रीय योजनाओं तक, शिवराज की धाक जनता तक सीधे है, ऐसे में उन्हें भी नजर अंदाज कर पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं है.
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मुख्यमंत्री पद के लिए किन नामों की है चर्चा
राजस्थान की रानी हैं वसुंधरा राजे. वह सियासी समीकरणों को साधने में बेहद कामयाब रही हैं. दो बार की मुख्यमंत्री हैं, तीसरी बार बनने की इच्छा है. वह गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह से भी मिल चुकी हैं. नाथ संप्रदाय के सांसद बाबा बालकनाथ, दिया कुमारी, ओम बिरला, भूपेंद्र यादव और गजेंद्र शेखावत को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि इन्हें मुख्यमंत्री चुना जा सकता है.
मध्य प्रदेश में बीजेपी के पास शिवराज सबसे बड़े नेता हैं. वे तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनकी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है. ज्यादातर विधायक आज भी उन्हीं के साथ हैं. वे डिनर डिप्लोमेसी से लेकर जमीनी कूटनीति तक के महारथी हैं. प्रह्रलाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और त्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी शामिल है.
छत्तीसगढ़ में रमन सिंह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, ओपी चौधरी और रेणुका सिंह का नाम सीएम की रेस में है. रमन सिंह बीते 4 साल इतने गुमसुम रहे हैं कि दोबारा उनके नाम पर सहमति बन पाना आसान नहीं है. फिर भी ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि सोमवार तक बीजेपी को तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री पद के सही दावेदार मिल जाएंगे.
किन राज्यों में नए चेहरे पर हो सकती है बगावत
शिवराज सिंह चौहान के विधायक बड़े वफादार हैं. वे उनके इशारे पर पार्टी तक छोड़ सकते हैं. ऐसे में बिना उनकी सहमति के पार्टी कोई बड़ा कदम उठाने से पहले सोचेगी. जब तक पार्टी आलाकमान के इशारे पर शिवराज सिंह अपने विधायकों को राजी नहीं कराते हैं, तब तक नया सीएम चुनना बीजेपी के लिए कठिन काम है. दूसरी तरफ वसुंधरा राजे हैं. जैसे ही 3 को नतीजे आए, जीते हुए विधायक वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचने लगे. कहा जा रहा है कि 60 से ज्यादा विधायक वसुंधरा राजे के साथ हैं. बीजेपी राजस्थान में कभी वसुंधरा राजे को नजरअंदाज नहीं कर पाई. वही मुश्किल एक बार फिर सामने है कि कैसे वसुंधरा राजे को हटाकर किसी नए चेहरे पर भरोसा जताया जाए.
पर्यवेक्षकों के भरोसे शीर्ष नेतृत्व
बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए पर्यवेक्षक चुना है. राजस्थान की जिम्मेदारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास है. मध्य प्रदेश हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर और छत्तीसगढ़ में अर्जुन मुंडा के पास. इन्हें विधायकों के साथ बातचीत करनी होगी. विधायक ही बताएंगे कि किसी सीएम चुनना चाहिए. बीजेपी हाईकमान पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट पर चर्चा करने के बाद तीनों राज्यों में मुख्यमंत्रियों के नाम का ऐलान करेगा. ऐसे में अब सीएम चुनने का सारा दारोमदार बीजेपी के पर्यवेक्षकों पर ही है.
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