डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान 2 की असफलता के 5 साल बाद के बाद एक बार फिर चांद को छूने के लिए तैयार है. अब चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है. चंद्रयान 2 का इसरो से लॉन्चिंग के बाद संपर्क टूट गया था. देशभर की नजरें चंद्रयान 3 पर टिकी हुई हैं.
भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान 3 की सभी शुरुआती तैयारियां पूरी हो गई हैं. चंद्रयान 14 जुलाई को लॉन्च होने वाला है. उम्मीद है कि यह मून मिशन सफल रहेगा. अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, सभी वैज्ञानिकों ने इस बार चंद्रयान 2 की गलतियों को न दोहराने के लिए कड़ी मेहनत की है.
7 सितंबर, 2019 को, इसरो ने चंद्रयान 2 लॉन्च किया गया था, लेकिन देश का सपना टूट गया, जब इस यान का संपर्क टूट गया था. अंतरिक्ष एजेंसी ने विक्रम लैंडर से सभी संपर्क खो दिए थे. अगर यह सफल रहता तो भारत चांद की अब तक मजबूती से टोह ले चुका होता.
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क्यों संपर्क से बाहर हुआ था चंद्रयान 2?
चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर फिक्स 55 डिग्री के बजाय 410 डिग्री तक झुक गया था. चंद्रमा की कक्षा में यह स्थापित होने से पहले ही संपर्क से बाहर हो गया. विक्रम से इसरो का संपर्क तब टूट गया जब वह लैंडिंग सतह से महज 400 मीटर की दूरी पर था.
चंद्रयान 2 चंद्र मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था. अगर यह सफल होता तो संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश होता.
चंद्रयान 2 मिशन में क्या गलती हुई?
जब चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर अपने निर्धारित प्रक्षेप पथ से झुका तो इसरो के वैज्ञानिकों समेत देशभर का दिल टूट गया. उम्मीद थी कि यह सही तरीके से चांद की जमीन पर लैंड कर जाएगा. इसरो के वैज्ञानिक देख रहे थे कि यह संपर्क से बाहर जा रहा है लेकिन वे कुछ भी नहीं कर पा रहे थे.
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विक्रम लैंडर की गति चार चरणों में 6000 किमी प्रति घंटे से 0 किमी प्रति घंटे तक धीमी होने की उम्मीद थी, लेकिन चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया. लैंडर से संपर्क टूटने की वजह सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी बताई गई है. प्रक्षेप पथ में परिवर्तन और गति में कमी की कमी की वजह से विक्रम लैंडर और चंद्रमा रोवर प्रज्ञान टूट गया.
चंद्रयान 3, चंद्रयान 2 से कैसे अलग है?
चंद्रयान 2 से अलग, चंद्रयान 3 में रोवर नहीं है. इसके अलावा, चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) नामक एक पेलोड ले जाएगा, जो पिछले मिशन में नहीं था. SHAPE चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा. चंद्रयान का न तो प्रक्षेप पथ बदलेगा, न ही इसरो के साथ इसका संपर्क टूटेगा.
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