डीएनए हिंदी: 1 मार्च 2014 को दिल्ली में गैस सिलेंडर की कीमत 410 रुपये थी. अब यह बढ़कर 1,003 रुपये पर पहुंच गई है. यह 8 साल में पूरे 144 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की ओर इशारा करता है.मिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर 2012 से मार्च 2022 तक एलपीजी के दाम में कोई बदलाव नहीं आया, लेकिन जैसे ही पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पूरे हुए गैस सिलिंडर के दाम बढ़ने लगे. 22 मार्च को घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 50 रुपये बढ़ाए गए. फिर 7 मई को भी 50 रुपये का इजाफा हुआ और 19 मई को हुई बढ़ोत्तरी के बाद दाम हजार रुपये ही पार कर गए. आखिर आम आदमी की सीधी जरूरत से जुड़ी घरेलू गैस दिन प्रतिदिन महंगी क्यों होती जा रही है, कैसे तय होती है इसकी कीमत, कौन तय करता है.... आसान भाषा में समझें सभी सवालों के जवाब-
कैसे तय होती है LPG की कीमत
एलपीजी का दाम इंपोर्ट पैरिटी प्राइज (IPP) फॉर्मूला पर तय होता है. यह फॉर्मूला अंतर्राष्ट्रीय प्रोडक्ट प्राइज पर आधारित है. सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामको एलपीजी के दाम तय करने में अहम भूमिका निभाती है. यह दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी है. IPP फॉर्मूला में सऊदी अरामको के एलपीजी दाम, फ्री- ऑनबोर्ड प्राइज, फ्राइट चार्जेस, कस्टम ड्यूटी और पोर्ट ड्यूटी इत्यादि शामिल होते हैं.
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क्यों महंगा होता जा रहा है रसोई गैस सिलेंडर
भारत में सप्लाई की जाने वाली एलपीजी गैस में 60 प्रतिशत ब्यूटेन होती है और 40 प्रतिशत प्रोपेन. इन दोनों की कीमतें भी एलपीजी के दाम बढ़ने में अहम भूमिका निभाती हैं. इसके अलावा रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने में तीन कारण मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. पहला तेल की कीमतें, दूसरा डॉलर के मुकाबले रुपये का एक्सचेंज रेट औऱ तीसरी रूस-यूक्रेन युद्ध. एलपीजी की कीमतें कच्चे तेल पर आधारित होती हैं. कच्चा तेल लगातार महंगा हो रहा है. वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रुपया कमजोर होने से भी एलपीजी के रेट बढ़ जाते हैं. तीसरा कारण है रूस-यूक्रेन युद्ध का जो लगातार तीन महीनों से जारी है. इसकी वजह से भी घरेलू गैस की सप्लाई बाधित हो रही है और दाम बढ़ रहे हैं. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के देशों में सप्लाई होने वाली नैचुरल गैस का 24 प्रतिशत रूस से आता है.
दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा उपभोक्ता है भारत
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक सन् 2030 तक भारत चीन को पीछे छोड़कर एलपीसी गैस का उपभोग करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बन जाएगा. यही नहीं बीबीसी की एक रिपोर्ट भी बताती है कि सन् 2011 में भारत में घरेलू गैस का इस्तेमाल जहां 28.5% था वहीं मार्च,2020 में यह बढ़कर 71% पर पहुंच गया था.
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