देहरादून में शत्रु संपत्ति घोषित काबुल महल सीज, कई परिवारों पर संकट, वजह क्या है

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 03, 2023, 07:37 AM IST

प्रशासन के कब्जे में काबुल महल.

काबुल हाउस में करीब 300 लोग रहते हैं. ये 19वीं शताब्दी के अफगान शासक मोहम्मद याकूब खान के वंशज हैं, जिन्हें भारत में निर्वासित कर दिया गया था. देहरादून में अधिकारियों ने इस महल को सील कर दिया है.

डीएनए हिंदी: देहरादून में स्थानीय प्रशासन ने ईसी रोड पर स्थित काबुल हाउस को सील कर दिया है. यह कभी 19वीं सदी में अफगानिस्तान के राजा मोहम्मद याकूब खान का महल था. 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में सेंकेड इंग्लो-अफगान युद्ध के बाद उन्हें भारत निर्वासित कर दिया गया था.

सिटी मजिस्ट्रेट ने पुलिस बल के साथ गुरुवार को महल के पास सभी अतिक्रमण हटा दिए. अब 16 परिवार बेघर हो गए हैं. यह घर, उनकी शरणस्थली था. निर्वासित अफगान शासक के करीब 300 वंशजों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया है. अब वे सड़क पर रहने के लिए मजबूर हैं.

काबुल हाउस का केस पिछले 40 वर्षों से देहरादून जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित है. साल 2019 में, जिला प्रशासन ने संपत्ति को शत्रु संपत्ति के रूप में चिह्नित किया था. अधिकारियों ने वजह बताते हुए कहा था कि काबुल हाउस में रहने वाले लोग विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए.

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क्यों प्रशासन ने खाली कराया महल?
कुछ दिन पहले कोर्ट ने सभी को संपत्ति खाली करने का आदेश जारी किया था और जमीन खाली करने के लिए 15 दिन का नोटिस दिया था. हालांकि, याकूब खान के वंशजों ने कहा कि उन्होंने कभी काबुल हाउस नहीं छोड़ा. उनके मुताबिक, याकूब के 11 बेटे और 11 बेटियां थीं और उनमें से कुछ ही पाकिस्तान चले गए, जबकि ज्यादातर देहरादून या अफगानिस्तान में ही रह गए.

100 साल से यहां रहे हैं लोग
अपना घर खोने वाले लोगों ने कहा है कि वे पिछले सौ वर्षों से वहां रह रहे हैं. उनमें से कुछ ने कहा कि उन्हें कुछ दिन पहले ही अपने घर खाली करने का आदेश मिला है. अब वे कहां जाएं. जिला प्रशासन का कहना है कि निकासी और सीलिंग का आदेश अदालत ने दिया था.

क्या होती है शत्रु संपत्ति?
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AOR) विशाल अरुण मिश्र कहते हैं कि विभाजन के बाद जो लोग भारत से पाकिस्तान जाकर बस गए उनकी संपत्तियों को भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया. भारत सरकार ने इस संबंध में 10 सितंबर 1959 को एक आदेश जारी किया. शत्रु संपत्ति के संबंध में दूसरा आदेश 18 दिसंबर 1971 को जारी किया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट में की एडवोकेट हर्षिता सक्सेना ने बताया कि विभाजन के बाद देश छोड़ने वाले लोगों की संपत्तियां खुद-ब-खुद शत्रु संपत्तियां घोषित हो गईं. शत्रु संपत्ति वह संपत्ति होती है जिसमें संपत्ति का मालिक कोई व्यक्ति ना होकर देश होता है. बंटवारे के समय करोड़ों लोग पाकिस्तान चले गए लेकिन वह अपनी संपत्ति यहीं छोड़ गए. ऐसी संपत्ति शत्रु संपत्ति कहलाई गईं. ऐसी संपत्तियों को सरकार ने अपने कब्जे में लिया है.

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