भारत में हर चार में तीन Doctor झेलते हैं हिंसा, Emergency और ICU में सबसे ज़्यादा होती है गाली-गलौज 

अणु शक्ति सिंह | Updated:Mar 31, 2022, 02:12 PM IST

भारत में डॉक्टरों के खिलाफ़ बढ़ी है हिंसा. हर चार में तीन डॉक्टर हैं शिकार. हाल में इसी हिंसा से त्रस्त महिला चिकित्सक अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली.

डीएनए हिंदी : पिछले दिनों राजस्थान(Rajasthan) के दौसा(Dausa) से एक हृदय विदारक ख़बर आई. 42 साल की एक महिला डॉक्टर ने एक पेशेंट की मौत हो जाने के बाद उत्पन्न हुए जन और पुलिसिया दवाब में आकर आत्महत्या कर ली. अर्चना शर्मा नाम की इस डॉक्टर के पास एक गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए आई थी. डिलीवरी के दौरान अधिक खून बह जाने की वजह से उस महिला की मौत हो गई. उक्त पेशेंट की मौत के बाद उसके परिवार के लोग और स्थानीय कुछ नेता मिलकर पुलिस के ऊपर हत्या का मुक़दमा दायर करने का दवाब बनाने लगे. अपने ऊपर FIR दायर होने से महिला चिकित्सक गहरे अवसाद में चली गई और आत्महत्या का क़दम उठा लिया. अपने अंतिम पत्र में डॉक्टर ने लिखा कि सम्भवतः यह उनके निर्दोष होने को साबित कर सके. अपने नोट में वे लिखती हैं कि उन्होंने कोई ग़लती नहीं की और किसी की जान नहीं ली. यह सब एक ख़ास मेडिकल कंडीशन की वजह से हुआ जिसमें अधिक ख़ून बह जाने की वजह से गर्भवती औरतों की मृत्यु हो जाती है.
 
कोविड में फ्रंट लाइन पर रहे हैं डॉक्टर 
पूरी दुनिया पिछले दो सालों से कोविड के प्रकोप से जूझ रही है. डॉक्टरों ने इससे पार पाने में महती भूमिका निभाई है. वे हमेशा फ्रंट लाइन पर मौजूद रहे. उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) के अख़बार गांव कनेक्शन की जून 2021 की एक रपट के मुताबिक़ मार्च 2020 में पैंडेमिक के शुरू होने से लेकर अप्रैल-मई 2021 के घातक सेकंड वेव तक 1342 डॉक्टरों की मौत हुई. अकेले केवल सेकंड वेव(Covid Second Wave) के शुरूआती दो महीनों में तक़रीबन 600 डॉक्टरों की मृत्यु का आंकड़ा सामने आया. इसका अर्थ यह हुआ कि उन दो महीनों में हर रोज़ औसतन 10 डॉक्टर की मौत हुई.    

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भारत में बहुत कम है डॉक्टरों की संख्या, हज़ार से ऊपर लोगों पर एक 
फिलहाल देश की जनसंख्या एक सौ चालीस करोड़ है और देश में कुल डॉक्टरों की संख्या 13 लाख है. इसका औसत निकाला जाए तो हर 1100 लोगों पर केवल एक डॉक्टर है. अप्रैल 2020 में प्रिंट में छपी एक ख़बर के अनुसार उस वक़्त भारत को अपनी स्वास्थ्य सेवा(Medical Services In India) में सुधार लाने के लिए  कम से कम 10 लाख डॉक्टर की ज़रूरत थी. गौरतलब है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ देश में हर साल लगभग 67,000 नए डॉक्टर तैयार होते हैं. इनमें से कई विदेशों का रुख कर लेते हैं. 

देश के लगभग तीन चौथाई डॉक्टरों के साथ कभी न कभी कोई हिंसा हुई है 
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नो लॉजिकल इन्फॉर्मेशन के अनुसार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(IMA) की एक रपट कहती है कि भारत के लगभग 75% डॉक्टरों के साथ कभी न कभी कोई हिंसा ज़रूर हुई है. अधिकांशतः यह शाब्दिक हिंसा होती है. ज़्यादातर इमरजेंसी और आईसीयू में यह हिंसा होती है. दौसा घटना के बाद देश के भिन्न अस्पतालों में डॉक्टर लगातार अपनी सुरक्षा की मांग रख रहे हैं.  

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