डीएनए हिंदी: एक अप्रैल को हर साल 'मूर्ख दिवस' मनाया जाता है. वैसे ना तो ये कोई त्योहार है ना ही कोई अहम तारीख, लेकिन इसे मनाया हर साल ही जाता है. किसी को मूर्ख बनाकर लोगों को खुशी होती है और अपनी इस शरारत पर खुश होकर लोग एक अप्रैल को हर साल नए अंदाज में मनाना पसंद भी करते हैं. बॉलीवुड फिल्मों में तो अप्रैल फूल नाम से एक फिल्म ही बन चुकी है. इस पर एक गाना भी है- 'अप्रैल फूल बनाया, उनको गुस्सा आया.' अब जब एक बार फिर मूर्ख दिवस आ रहा है तो यह भी जान लीजिए कि आखिर इसे मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई थी. इसके पीछे मुख्य रूप से दो कहानियां प्रचलित हैं-
कहानी नंबर-1
पहली बार मूर्ख दिवस मनाने की कहानी शुरू होती है सन् 1381 से. इस मजेदार कहानी के पीछे हैं इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी. उन्होंने अपनी सगाई का ऐलान किया और कहा कि 32 मार्च 1381 को उनकी सगाई होगी. इस ऐलान के साथ ही जनता इतनी खुश हुई कि सगाई की तैयारियां और जश्न तक मनाना शुरू कर दिया. बाद में उन्हें एहसास हुआ कि वे बेवकूफ बन गए हैं, क्योंकि कैलेंडर में तो 32 मार्च की तारीख ही नहीं होती. कहा जाता है कि उसके बाद से ही हर साल एक अप्रैल को लोग मूर्ख दिवस के रूप में मनाने लगे.
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कहानी नंबर-2
अप्रैल फूल की दूसरी कहानी शुरू होती है सन् 1583 से. इस दौरान फ्रांस में पोप चार्ल्स ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू करने की घोषणा की. इससे पहले इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर में मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत से साल शुरू होता था. वहीं रोमन कैलेंडर यानी जनवरी से दिसंबर. पोप चार्ल्स की इस घोषणा के बारे में कुछ लोगों तक जानकारी काफी देर से पहुंची, वे लोग अप्रैल में ही न्यू ईयर मनाते रहे, इसी वजह से उन पर काफी चुटकुले बनाए गए और उन पर मजाक भी किया गया. कहा जाता है कि यहीं से अप्रैल फूल मनाने की शुरुआत हो गई.
आज भी जारी है चलन
सोशल मीडिया के मौजूदा देर में अप्रैल फूल डे का यह सेलिब्रेशन काफी जोर-शोर से किया जाता है. एक-दूसरे को छोटी-बड़ी बातों पर बेवकूफ बनाकर लोग खुश होते हैं और इस दिन को भी एक उत्सव की तरह मनाते हैं. यही नहीं कुछ लोग कई दिन पहले से ही एक अप्रैल का इंतजार भी करने लगते हैं.
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