Birthday Special : हिंदी कविता को ग्लोबल बनाने वाले कवि हैं कुमार विश्वास!

| Updated: Feb 10, 2022, 11:28 AM IST

उत्तर प्रदेश के पिलखुआ से नाता रखने वाले कुमार को हिंदी भाषी प्रदेशों में वह प्रेम हासिल है जिसे अभूतपूर्व की संज्ञा दी जा सकती है. 

डीएनए हिंदी : आज कुमार विश्वास का जन्मदिन है. कुमार विश्वास ने हिंदी कविता को जो आयाम दिया है, वह अतुलनीय है. 10 फ़रवरी 1970 को पैदा हुए और उत्तर प्रदेश के पिलखुआ से नाता रखने वाले कुमार को हिंदी भाषी प्रदेशों में वह प्रेम हासिल है जिसे अभूतपूर्व की संज्ञा दी जा सकती है. 
हिंदी फ़िल्मों में लेखकों को एक उपयुक्त जगह और उचित सम्मान सह मूल्य दिलवाने के लिए साहिर लुधियानवी ने बेहद संघर्ष किया था. हिंदी कविता के लिए कुमार विश्वास का संघर्ष वैसा ही माना जा सकता है. 

यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडल से सुपर इन्फ़्लूएंसर बनने तक का सफ़र 

दस फ़रवरी को 52 साल के होने वाले कुमार विश्वास वर्तमान में हिंदी साहित्य के व्यस्ततम कवि माने जाते हैं. भिन्न चैनलों पर कई तरह के साहित्यिक कार्यक्रमों के मेज़बान की भूमिका निभा चुके कुमार के कवि जीवन का सफ़र 2000 में शुरू हुआ था. हिंदी साहित्य के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र रह चुके कुमार विश्वास ने आने के साथ ही कविता की दुनिया में हंगामा मचा दिया. उनकी कविता ‘कोई दीवाना कहता है’ ने उन लोगों को भी साहित्य की पद्य विधा से जोड़ दिया है जिनकी कभी कविता अथवा ऐसी किसी चीज़ में रुचि नहीं थी. 

शताब्दी के शुरुआती सालों में जब यूट्यूब और इंटरनेट का क्रेज़ बढ़ रहा था, कुमार विश्वास के प्रति भी लोगों की दीवानगी बढ़ती जा रही थी. आज कुमार विश्वास नब्बे लाख से अधिक ट्विटर फ़ॉलोअर काउंट के साथ देश को प्रभावित कर सकने वाले कुछ गिने-चुने नामों में शुमार किए जाते हैं. कुमार विश्वास कई किताबें लिख चुके हैं. साथ ही उन्होंने इस सदी के सबसे मशहूर शायर जौन एलिया पर एक ज़रूरी किताब भी सम्पादित की है. 

समाजसेवा और राजनीति 
साहित्य जनता का पक्ष होता है. कुमार विश्वास ने इसे बार-बार साबित किया है. 2011 में जब जनलोकपाल का गठन हुआ था, कुमार विश्वास टीम अन्ना के महत्वपूर्ण सदस्य बनकर उभरे. 2012 में निर्भया आंदोलन के वक़्त उन्होंने पुलिस की लाठियां भी खाईं. वे आम आदमी पार्टी की स्थापना के समय मुख्य कार्यकारिणी का हिस्सा थे. हालांकि बाद के दिनों में आपसी मतभेद की वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. 
कोविड के दूसरे दौर में जब देश में लगातार मृत्यु दर बढ़ रहा था और कोविड का क़हर बढ़ता जा रहा था, कुमार विश्वास ने अपने सोशल मीडिया का इस्तेमाल लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए किया. उन्होंने कई सुदूर जगहों पर मुफ़्त दवाई उपलब्ध करवाने के लिए विश्वास सेंटर की स्थापना भी की.