Ukraine-Russia War: ब्रेड, सनफ्लावर ऑयल और कई तरह के मेटल हो सकते हैं मंहगे

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 07, 2022, 06:14 PM IST

यूक्रेन के युद्धग्रस्त होने और रूस पर प्रतिबन्ध लगने से बहुत संभव है कि ब्रेड सरीख़ी चीज़ें और भी मंहगी हो जाए.

डीएनए हिंदी : रूस (Russia) में ऊर्जा का गहन भंडार है. यह दुनिया भर में गैस और तेल आपूर्ति का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है. हर रोज़ यह लगभग 50 लाख बैरल तेल का निर्यात करता है. रूस पर लगे प्रतिबन्ध के बाद क्रूड ऑयल की क़ीमत बढ़ने का अंदेशा बढ़ रहा है. यह दुनिया भर में ऊर्जा संकट को बढ़ा सकता है. बढ़ती हुई मांग और घटती आपूर्ति के दरमियान पूरी दुनिया को बढ़ी हुई क़ीमत से जूझना पड़ सकता है. इतना ही नहीं, चूंकि रूस लगभग समूचे यूरोप में गैस आपूर्ति करता है, मौज़ूदा रूस-यूक्रेन समस्या का असर इस पर हो सकता है.

सनफ्लॉवर ऑयल की बढ़ सकती है क़ीमत

प्राकृतिक गैस और तेल के अतिरिक्त रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के  बीच का युद्ध सूरजमुखी के तेल सहित गेहूं और अन्य चीज़ों की क़ीमत भी बढ़ा सकता है. यूक्रेन और रूस का सीमावर्ती इलाक़ा कलाई मिट्टी वाला है, यहां की आबोहवा सूरजमुखी की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है. यूक्रेन हर साल 5.38  मिलियन टन सनफ्लॉवर ऑयल का निर्यात करता है.

गेहूं से बनी चीज़ें हो सकती हैं बेहद मंहगी

दुनियाभर में होने वाले गेहूं की ख़पत का एक चौथाई हिस्सा यूक्रेन और रूस (Ukraine and Russia) से आता है. रूस कुल ख़पत का 18% गेहूं उत्पादित करता है वहीं यूक्रेन 7% गेहूं उत्पादित करता है. बहुत सारे अफ्रीकी देश सहित अमेरिका भी बहुत हद तक इन इलाकों से आने वाले गेंहू पर निर्भर रहता था. यूक्रेन के युद्धग्रस्त होने और रूस पर प्रतिबन्ध लगने से बहुत संभव है कि ब्रेड सरीख़ी चीज़ें और भी मंहगी हो जाए.

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कई तरह के मेटल हो सकते हैं मंहगे

रूस और यूक्रेन(Russia and Ukraine) साझा तौर पर निकेल, लोहा और कॉपर का उत्पादन करता है. यूक्रेन के युद्धग्रस्त होने और रूस पर प्रतिबन्ध लगने के बाद इन तमाम धातुओं के वैश्विक आयात पर असर पड़ सकता है. पैलेडियम और निकेल की कीमत रूस पर प्रतिबंध लगने के साथ ही बढ़ चुकी है. इन धातुओं में टाइटेनियम भी शामिल है.

माइक्रोचिप की किल्लत

कोविड के आने के बाद से दुनिया का ऑटो मार्केट माइक्रोचिप की भयंकर किल्लत से गुज़र रहा था. चिप के लिए आवश्यक नियॉन का 90% रूस से आता है. इसे चिप लिथोग्राफी तकनीक के सहारे प्यूरीफ़ाय किया जाता है. दो तिहाई से अधिक यह काम ओडेसा (Odessa)की एक कंपनी किया करती थी. गौरतलब है कि यूक्रेन-रूस युद्ध में रूस ने ओडेसा पर कब्ज़ा कर लिया है.

 

 

 

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