डीएनए हिंदी: देश में सेमीकंडक्टर चिप (Semiconductor Chip) का संकट गहराता जा रहा है. यही वजह है कि 7 लाख लोगों को कार महज इसलिए नहीं मिल पाई है कि कपंनियां सेमीकंडक्टर चिप की किल्लत से जूझ रही हैं. अगर आप भी नई कार खरीदने की सोच रहे हैं तो पहले वेटिंग लिस्ट के बारे में जान लीजिए जिसमें देश के 7 लाख लोग पहले से ही हैं. ये वो लोग हैं जिन्होंने अपनी नई कारों की बुकिंग काफी पहले कर ली थी इसके बावजूद ये कंपनियां अब तक अपने ग्राहकों तक नए वाहन नहीं पहुंचा पाई हैं.
कारों की वेटिंग लिस्ट में मारुति (Maruti) के 2.5 लाख, हुंडई (Hyundai), टाटा मोटर्स (Tata Motors) और महिंद्रा (Mahindra) के एक-एक लाख और किआ मोटर्स (Kia Motors) के 75,000 ग्राहक हैं. अब सवाल यह है कि जब लोग महंगे दामों पर वाहन खरीदने को तैयार हैं तो ये कंपनियां नए वाहन क्यों नहीं दे पा रही हैं?
ऐसा इसलिए है कि दुनिया में सेमीकंडक्टर चिप की भारी किल्लत सामने आ रही है. यह चिप माचिस की डिब्बी से भी आकार में काफी छोटी है लेकिन इसने दुनिया के कुल 170 उद्योगों को हिला कर रख दिया है. इनमें से जो उद्योग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है वह है ऑटोमोबाइल उद्योग.
ऑटो इंडस्ट्री को 150 लाख करोड़ का नुकसान
सेमीकंडक्टर चिप्स की कमी से इस साल ऑटो इंडस्ट्री को 150 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सेमीकंडक्टर चिप्स की कमी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इनकी कमी की वजह से कई देशों की अर्थव्यवस्था खतरे में आ गई है. जापान में जहां टोयोटा (Toyota), सुजुकी ( Suzuki), निसान (Nissan) जैसी प्रमुख कार निर्मता कंपनियों का मुख्यालय है, वहां चिप की कमी के कारण भारी आर्थिक नुकसान हुआ है.
देश की जीडीपी में 6.4 फीसदी हिस्सेदार है ऑटो सेक्टर
सितंबर 2021 में जापान के निर्यात में साल 2020 के मुकाबले 46 फीसदी की कमी आई. यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए काफी है. इसी तरह मध्य यूरोप के देशों को भी चिप की कमी से काफी नुकसान हुआ है. भारत में भी देश की जीडीपी में ऑटो सेक्टर की हिस्सेदारी 6.4 फीसदी है जिससे करीब 3 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है.
क्यों जरूरी बनता जा रहा है Semiconductor Chip
आजकल दुनिया भर में जितने भी वाहन बनते हैं उनके पावर स्टीयरिंग, ब्रेक सेंसर, एंटरटेनमेंट सिस्टम, एयरबैग और पार्किंग कैमरों में सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल होता है. आमतौर पर एक वाहन में 1,000 से अधिक सेमीकंडक्टर चिप्स लगाए जाते हैं. ये चिप कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर आधारित हैं और आपके वाहन के डेटा को भी प्रोसेस करते हैं. सेमीकंडक्टर चिप्स के बिना आधुनिक वाहनों का निर्माण लगभग असंभव है.
न केवल गाड़ियों में बल्कि इस चिप का उपयोग हर उस उपकरण में भी किया जाता है जो आधुनिक है, इंटरनेट से जुड़ा है और इसमें विशेष सुविधाएं होती हैं. उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी और अन्य घरेलू उपकरण. इसलिए उनकी मैन्युफैक्चरिंग भी इस कमी से प्रभावित हुई है. Apple को इस साल iPhone 13 की 90 मिलियन यूनिट का उत्पादन करना था लेकिन चिप की कमी के कारण केवल 80 मिलियन यूनिट का ही उत्पादन हुआ है.
क्यों पैदा हुआ Chip संकट?
चिप संकट के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार कोरोना वायरस है. महामारी की वजह से पूरी दुनिया में सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन एक साल से काफी कम हो गया था और अब भी इसकी आपूर्ति (Supply) मांग से काफी कम है. सबसे बड़ी समस्या यह है कि पूरी दुनिया में कुछ ही कंपनियों के पास सेमीकंडक्टर चिप बनाने की क्षमता है. इन कंपनियों ने अपना उत्पादन भी बढ़ाया है लेकिन इनकी कमी साल 2023 तक बनी रह सकती है.
भारत में कोई भी कंपनी सेमीकंडक्टर चिप नहीं बनाती है और भारत इस मामले में पूरी तरह से आयात (Import) पर निर्भर है. इनमें से ज्यादातर चिप भारत के कार निर्माताओं को मलेशिया (Malaysia) से सप्लाई किए जाते हैं, जहां इस समय चिप का उत्पादन कोविड की वजह से बाधित है. अगर आप आने वाले त्योहारों के लिए एक नया वाहन लेने की योजना बना रहे हैं तो हो सकता है कि आपको इसकी डिलीवरी समय पर न मिले और आपको ज्यादा पेमेंट करनी पड़े.
आपकी जेब पर क्या पड़ेगा असर?
अगर आपने आज ही कार बुक कर ली हो लेकिन अगले साल मई या जून में 6 महीने बाद वह गाड़ी आपको डिलीवर कर दी जाए तो ऐसे में आपको कार की मौजूदा कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी बल्कि वह कीमत चुकानी पड़ेगी, जो मई या जून के महीने में होगी. यह कीमत इसलिए ज्यादा होगी क्योंकि कार निर्माता कंपनियों की इनपुट कॉस्ट यानी मैन्युफैक्चरिंग के दौरान होने वाली लागत में इस साल औसतन 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
भारत में कैसे दूर होगा चिप संकट?
तमाम बड़ी कंपनियों का अनुमान है कि चिप का यह संकट साल 2022 तक बना रहेगा और 2023 तक यह बेहतर होगा. इसलिए आप चाहें तो नई कार न खरीदकर कुछ देर इंतजार कर सकते हैं या फिर आप पुरानी कार खरीदने के बारे में भी सोच सकते हैं. कई लोग ऐसा भी कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक नए वाहनों की समय पर डिलीवरी नहीं होने से पुराने वाहनों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में इस साल पुराने वाहनों की बिक्री नए वाहनों के मुकाबले डेढ़ गुना रही है, जो 2025 तक दोगुनी हो सकती है. इसके अलावा इस संकट में अवसर की तलाश में केंद्र सरकार ने 76,000 करोड़ रुपये की नई योजना को मंजूरी दी है जिसके तहत आने वाले छह वर्षों में सेमीकंडक्टर चिप के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है.