COVID 19 ने बढ़ा दी है Female Activists की मुश्किलें

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 22, 2022, 02:31 AM IST

एक्टिविस्ट महिलाओं के लिए हालात कोविड 19 (COVID 19) के बाद और बुरे हो गए हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख Michelle Bachelet का भी यही कहना ह

डीएनए हिंदी : कोविड की वजह से कई व्यापार ख़राब हुए हैं. 2020 में घरेलू हिंसा के मामलों में भी तेज़ी देखी गयी थी और इसकी वजह से महिला मानवाधिकारियों को भी समस्या हुई है. मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख Michelle Bachelet ने कहा कि वे महिलाएँ जिन्होंने मानव अधिकारों की रक्षा करने और शान्ति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं, उनके लिए हालात कोविड 19 (COVID 19) के बाद और बुरे हो गए हैं.

हर जगह परेशान हुई हैं महिला मानवाधिकारी

Michelle Bachelet ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् से बताया कि 2020 में उनके ऑफिस में लगभग 35 एक्टिविस्ट्स की ह्त्या की ख़बर आयी है.  उनका मानना  है कि यह संख्या असल से बेहद कम है पर 2018-19 के आंकड़ों से अधिक है.  उन्होंने आगे बताया कि उनके जेनेवा बेस्ड ऑफिस में जेंडर इक्वलिटी (Gender Equality),  SRHR(sexual and reproductive health and rights),  भ्रष्टाचार, पर्यावरण, जनाधिकार सरीख़े मुद्दों पर काम कर रही स्त्रियों के ऊपर हो रहे हमलों का ब्यौरा भी रखती है. उन्होंने देखा है कि लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं और संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाले लोगों को बंदी बनाया गया, उनका अपहरण किया गया, उनके साथ यौन हिंसा हुई और तरह-तरह से उन्हें परेशान किया गया ताक़ि वे अपना काम बंद कर दें.

बद से बदतर होता गया मामला

उन्होंने उल्लेख किया कि प्रमुख शान्ति वार्ताओं में 2019 तक केवल 13 फ़ीसदी महिलाएं negotiator थी, सिर्फ़ 6-6 प्रतिशत of mediators और signatories थीं.  कोविड ने  इन हालात को और बिगाड़ दिया है. मिशेल ने म्यांमार (Myanmar), अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) और अफ्रीका के Sahel इलाक़े का उदाहरण देते हुए कहा कि जब से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान का कब्ज़ा हुआ है महिलाओं के अधिकार की बात करने वाले लोगों को या तो भाग जाना पड़ा है या फिर छिपना पड़ रहा है. म्यांमार का सन्दर्भ देते हुए उन्होंने जुलाई 2021 में मिलिट्री कैंप के विरोध में महिलाओं के द्वारा आयोजित  मशाल जुलूस की बात की. अफ्रीका के Sahel इलाक़े के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अति हिंसक हथियारबंद लोगों के समूहों के द्वारा महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटना में वृद्धि हुई है. वहां के संकट को देखते हुए सीधा पता चलता है कि महिलाओं के सशक्तिकरण की कितनी आवश्यकता है.

सबसे अधिक हाशिये पर हैं Female Activists

मिशेल की ही तरह नॉर्वे (Norway) की विदेश मंत्री  Anniken Huitfeld का कहना है कि हमें अपने सामूहिक संकल्प के पक्ष में आगे बढ़ना होगा कि महिलाएँ बिना डर के काम कर सकें. यहां यह दर्ज करना ज़रूरी है कि नॉर्वे सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष देश है.  Huitfeld ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan), यमन, सूडान और म्यांमार(Myanmar),  सरीखे देशों में स्त्री एक्टिविस्ट, शान्तिदूत और मानवाधिकारकर्मी काफ़ी रिस्क लेकर काम करते हैं. घाना (Ghana) की विदेश मंत्री  Shirley Ayorkor Botchwey ने सुरक्षा परिषद् से कहा कि संघर्ष की परिस्थिति में महिलाओं को सबसे अधिक झेलना पड़ता है. वे सबसे ज़्यादा हाशिये पर होती हैं और पीस बिल्डिंग के अपने काम के लिए सबसे अधिक भुगतती भी हैं.

Michelle Bachelet संयुक्त राष्ट्र फेमिनिज़्म फीमेल एक्टिविस्ट जेंडर इक्वलिटी Gender Equality UN