डीएनए हिंदी : रैम्प पर अदाएं बिखेरती ख़ूबसूरत मॉडल्स को देखना एक अलग अनुभव है. आज फ़ैशन शो का बड़ा व्यवसाय तैयार हो गया है. टीवी सीरीज से लेकर सौंदर्य प्रतियोगिताएं तक इन पर आधारित हैं. क्या आप जानते हैं इनका इतिहास क्या है?
उन्नीसवीं सदी में हुआ था पहला फ़ैशन शो
जी हां, फैशन शो का इतिहास इतना पुराना है. सबसे पहली बार अंग्रेज़ फैशन डिज़ाइनर चार्ल्स फ्रेडरिक यह आईडिया लेकर आए थे. उन्होंने अपने बनाए कपड़ों का प्रदर्शन मॉडल्स के ज़रिए करना शुरू किया था. ज़िंदा लोग पहली बार मॉडल बनकर नज़र आए थे. इससे पहले कपड़ों के प्रदर्शन के लिए पुतलों का इस्तेमाल किया जाता था. इसे फैशन परेड का नाम दिया गया था.
सदी के बीतते-बीतते लंदन और न्यू यॉर्क में होने लगे थे फैशन परेड
चार्ल्स फ्रेडरिक इस्तेमाल में लाए गए ज़िंदा लोगों के ज़रिये फैशन शो करने का आईडिया लंदन से न्यू यॉर्क तक पहुंच गया. हालांकि उस वक़्त ऐसे शो छोटे हुआ करते थे और अधिकतर व्यक्तिगत इवेंट्स में ही फैशन शो हुआ करते थे.
वर्ल्ड वॉर 2 के बाद हुआ था इसका विस्तार
दूसरे विश्व युद्ध के बाद फैशन की दुनिया ने अलग विस्तार लिया. 1947 में पेरिस में डिज़ाइनर क्रिस्चियन डिओर(Christian Dior) ने दुबली-पतली स्कर्ट पहनी हुई लड़कियों के साथ एक शो किया. यह शो स्त्रीत्व के नए रंग-रूप लेकर आया था. इसे विश्वयुद्ध की वेदना से पलायन के तौर पर भी देखा गया था.
बिना चेहरे के भाव के भाव जताए रैम्प वॉक का दौर
प्लेन एक्सप्रेशन रैम्प वॉक का दौर फैशन परेड शुरू होने के लगभग सौ सालों बाद 1960 में शुरू हुआ था. इसे तब बेहद कलापूर्ण माना गया था.
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