ये थे ISRO की स्थापना करने वाले Rocket Boys, इनकी दोस्ती भी पेश करती है मिसाल 

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 15, 2022, 02:14 PM IST

Homi Jahangir Bhabha and Vikram Sarabhai

इन दिनों महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के जीवन पर आधारित वेबसीरीज Rocket Boys काफी चर्चा में है.

डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO) ने 14 फरवरी को PSLV-C52 रॉकेट की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की. इसरो प्रमुख डॉ.एस.सोमनाथ का पद संभालने के बाद यह पहला मिशन था. इसकी मदद से मौसम संबंधी ऐप्स को बेहतर बनाया जा सकेगा साथ ही बाढ़ के समय में भी मैपिंग में इस मिशन के जरिए मदद हो सकती है. 

यह पहली बार नहीं है, पिछले कई दशकों से इसरो ने ऐसी कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जो दुनिया में मिसाल बनी हैं. आज इसरो को दुनिया के शीर्ष रिसर्च ऑर्गेनाइजेशंस में शामिल किया जाता है. ऐसे में अगर किसी को इसका श्रेय दिया जाएगा तो उसमें सबसे पहला नाम विक्रम साराभाई का होगा. 

इन दिनों उनके और महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर बाबा के जीवन पर आधारित एक वेबसीरीज Rocket Boys भी काफी चर्चा में है. इस सीरीज के जरिए एक बार फिर इतिहास के उन पन्नों को पेश किया गया है जब आजादी के संघर्ष के बीच हमारे देश के ये रॉकेट बॉयज नया इतिहास लिख रहे थे. जानते हैं कि इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई की कहानी- 

1. 12 अगस्त 1919 में जन्म
कहीं विक्रम साराभाई को अंतरिक्ष विज्ञान का जनक कहा जाता है तो कहीं उन्हें भारतीय विज्ञान का महात्मा गांधी कहा जाता है. उनकी उपलब्धियां और योगदान हैं ही ऐसे जिन पर देश को आज भी नाज़ है. 12  अगस्त 1919 को अहमदाबाद में एक उद्योगपति परिवार में उनका जन्म हुआ था. उनका परिवार सक्रिय रूप से भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल था. 

2. 1945 में IIS में रिसर्च
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद विक्रम भारत आए. यहां वह भौतिकविज्ञानी सर सीवी रमन का मार्गदर्शन में कॉस्मिक रेज पर अपना पहला रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू करना चाहते थे. इसके लिए वह सन् 1945 में बंगलुरू स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस गए.यहीं से उनके उस सफर की शुरुआत हुई, जिसमें विज्ञान की दुनिया में एक के बाद एक उनके कई योगदान दर्ज होते गए. 

3.ISRO की स्थापना
विक्रम साराभाई ने ही रूसी मिसाइल स्पूतिक के लॉन्च के बाद भारत में स्पेस प्रोग्राम को स्थापित करने के लिए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना की. साराभाई के प्रयासों से ही 1969 में भारत के इसरो की स्थापना हुई. वह इसरो के पहले चेयरमैन थे. विक्रम साराभाई ने ही भारत सरकार को इस बात के लिए मनाया कि भारत अपना खुद का अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करे. 

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4. SITE की लॉन्चिंग
सन् 1966 में उन्होंने गुजरात के एक गांव में नासा की मदद से सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविजन एक्सपेरीमेंट (SITE) किया. इसे 1975 में लॉन्च किया गया, जिसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों तक टेलीविजन पहुंच सका. 

5. IIM से लेकर अकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स तक
इसके अलावा भी साराभाई ने देश में कई संस्थानों की नींव रखी. इसमें अहमदाबाद का IIM और फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री (PRL)के अलावा कोलकाता का वैरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रोन प्रोजेक्ट शामिल है.  उन्होंने अपनी पत्नी मृणालिनी साराभाई के साथ मिलकर अहमदाबाद में ही दर्पण अकेडमी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की भी स्थापना की. उन्हें सन् 1996 में पद्मभूषण और मरणोपरांत सन् 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 30 दिसंबर 1971 को साराभाई का निधन हो गया था. 

वेबसीरीज रॉकेट बॉयज
रॉकेट बॉयज वेबसीरीज में साइंस की इस दुनिया और आजादी के उस दौर को बेहद खूबसूरती और गहराई से दिखाया गया है. इस सीरीज को देखने के बाद समझ में आता है कि आज हम जिन सुविधाओं को उपभोग कर रहे हैं, उन्हें यहां तक पहुंचाने में हमारे देश के वैज्ञानिकों ने कितना संघर्ष किया. विक्रम साराभाई और होमी जहांगीर भाभा की दोस्ती का जो रिश्ता इस सीरीज में देखने को मिलता है, वो भी किसी मिसाल से कम नहीं है. 

ऐसा लगता है मानों साराभाई की हर उपलब्धि के साथ होमी जहांगीर भाभा का भी बराबार का योगदान शामिल रहा है. दोनों ने एक साथ मिलकर भारत को विज्ञान की दुनिया में शीर्ष पर पहुंचाने का ना सिर्फ सपना देखा बल्कि उसे पूरा भी किया. डॉक्टर होमी जे. भाभा की प्लेन क्रैश में मौत के बाद सन् 1966 में विक्रम साराभाई ने ही परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष का पद संभाला था. वहीं इसरो की स्थापना के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को मनाने में भी होमी जहांगीर भाभा का ही प्रमुख योगदान रहा.

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