वाजवान- अखरोट के हथौड़े से कूटकर तैयार होता है ये खास व्यंजन

| Updated: Dec 06, 2021, 05:00 PM IST

अगर वाजवान के इतिहास की बात करें तो आपको चलना होगा सन् 1398 में. ये वो वक्त था जब तैमूर ने हिंदुस्तान पर कब्जा किया था.

डीएनए हिंदी. भारतीय व्यंजनों का जब भी जिक्र होगा 'वाजवान' के बिना बात अधूरी ही मानी जाएगी. 'वाजवान' धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की शान है तो भारतीय व्यंजनों से जुड़ी लंबी लिस्ट का अभिमान है. 'वाजवान'  को एक व्यंजन नहीं है बल्कि 36 तरह की डिशेज के साथ तैयार होने वाले एक मल्टी कोर्स मील को 'वाजवान' कहा जाता है. इसके सभी व्यंजन मुख्य रूप से मीट से तैयार होते हैं. कश्मीरी शादियां या खास उत्सव 'वाजवान' के बिना पूरे नहीं होते. कश्मीर के लोगों से पूछें तो 'वाजवान' उनके लिए सिर्फ एक व्यंजन का नाम नहीं बल्कि एक खास अहसास और उत्सव की पहचान है. 

अब अगर इसके इतिहास की बात करें तो आपको चलना होगा सन् 1398 में. ये वो वक्त था जब तैमूर ने हिंदुस्तान पर कब्जा किया था. हिंदुस्तान की जमीं को फतेह करने के बाद तैमूर अपने साथ समरकंद से अपने कुक भी लेकर आया था. इन्हें वाज कहा जाता था. वैसे वाज का मतलब होता है कुक और वान का मतलब होता है शॉप. इनके द्वारा बनाए जाने वाले बेहतरीन व्यंजनों के इस समूह का नाम यहीं से वाजवान पड़ गया. 

दरअसल ये वाज अपनी पाककला के प्रति बेहद जुनूनी थे. सूरज उगने से पहले ही खाना पकाने की तैयारियां शुरू कर दी जाती थीं. मास्टर शेफ जिसे वास्ता वाज कहा जाता था जो अन्य शेफ्स यानी वाजों के काम का निरिक्षण करता था. 

वाजवान को बनाने के लिए लगभग एक घंटे तक मीट को कूटा जाता है. इसके लिए खासतौर पर अखरोट का हथौड़ा इस्तेमाल किया जाता है. जब तक मटन पूरी तरह क्रीम जैसा सॉफ्ट ना हो जाए तब तक कूटने की ये प्रक्रिया जारी रहती है.  भारतीय उपमहाद्वीप में जहां ज्यादातर व्यंजनों में पकाने के दौरान उसमें फ्लेवर डाले जाते हैं वहीं वाजवान को पकाने से पहले ही उसमें फ्लेवर एड कर दिए जाते हैं. ये फ्लेवर मसालों से नहीं बल्कि फूलों और पत्तियों से तैयार किए जाते हैं. कहा जाना चाहिए कि वाजवान को तैयार करने से पहले तरह-तरह की सामग्री के साथ-साथ बहुत सारे धैर्य की भी जरूरत होती है. अगली बार जब भी कश्मीर जाने का मौका मिले तब इस मशहूर 'वाजवान' का स्वाद लेना और इसे पकते हुए देखना ना भूलें.