Valentine’s Day Special: हिंदी की 10 सबसे शानदार क्लासिक प्रेम-कहानियां

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 14, 2022, 04:06 PM IST

भारतीय कथा साहित्य में भी प्रेम का स्थान अनूठा है. यहां आपके लिए पेश है हिंदी भाषा-साहित्य की क्लासिक प्रेम-कहानियों की एक लिस्ट.

डीएनए हिंदी : आज वैलेंटाइन डे है. पूरी दुनिया में इसे प्रेम के दिन के तौर पर मनाया जाता है.  प्रेम को सबसे सुन्दर भाव का विशेषण भी मिला हुआ है. सहस्त्राब्दियों से प्रेम के क़िस्से कहे, सुने और गुने जाते हैं, भारतीय कथा साहित्य में भी प्रेम का स्थान अनूठा है. वैलेंटाइन डे के इस मौक़े पर डीएनए हिंदी लेकर आया है हिंदी भाषा-साहित्य की क्लासिक प्रेम-कहानियों की एक लिस्ट. इनमें से कुछ सौ साल से भी अधिक पुरानी हैं.

उसने कहा था - चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने यह  कहानी 1915 में लिखी थी. इसे हिंदी साहित्य की सबसे शुरूआती प्रेम कहानियों में एक का दर्जा मिला हुआ है. इस कहानी में विश्व युद्ध (World War I) में फंसे एक सैनिक अपनी बचपन की प्रेमिका के पति और बेटे की जान बचाता है क्योंकि उसकी प्रेमिका ने उससे जान बचाने की बात कही थी. इस कहानी पर 1960 में फिल्म भी बनी है, जिसमें सुनील दत्त और नंदा मुख्य भूमिका में थे.

कोसी का घटवार - कथाकार शरद जोशी ने यह कहानी 1958 में लिखी थी. पहाड़ की पृष्ठभूमि में लिखी हुई यह कहानी दो पूर्व प्रेमियों के मिलने और फिर आत्म-सम्मान की राह पर अलग हो जाने की ख़ूबसूरत बयानगी है.

गदल - रांगेय राघव की यह कहानी वयस्क प्रेम की सुन्दर दास्तान है. यह स्त्री यौनिकता की कहानी भी है जिसमें पति की मृत्यु के बाद गदल अपने प्रेम को अपने विधुर देवर के सामने रखती है. लोक-लाज के डर से देवर गदल के प्रति अपने प्रेम को स्वीकार नहीं कर पाता है पर गदल का किसी और मर्द के साथ हो जाना उसे बर्दाश्त नहीं होता है. उसकी जान चली जाती है. रोचक मोड़ों वाली यह प्रेम कहानी न सिर्फ समाज के थोथे नियमों पर कुठाराघात करती है, वयस्क  प्रेम को उसके मौलिक रूप में प्रस्तुत भी करती है.

वाङ्चू - भीष्म साहनी की यह कहानी चीनी मुसाफिर वाङ्चू के क़िस्से पर आधारित है. वाङ्चू को नीलम से मुहब्बत होती है. वह नीलम के लिए तोहफे लाता है पर नीलम इसे ठिठोली में ही देखती है.  मुंह से कुछ नहीं कहता है  वाङ्चू पर उसकी मौत के बाद जब उसका सामान खोला जाता है, उसमें नीलम का दिया हुआ तोहफ़ा एक चोगा मिलता है. 

परिंदे - निर्मल वर्मा(Nirmal Verma) की यह कहानी नई कहानी की शुरुआत मानी जाती है. साठ के दशक में लिखी गई इस कहानी के कई आयाम लिखे जा सकते हैं. यह कहानी लड़कियों के बोर्डिंग स्कूल में शिक्षक लतिका की कहानी है. लतिका का फौजी प्रेमी शहीद हो गया है. वह उसकी याद में है. अचानक उसे अहसास होता है, उसकी एक छात्रा भी किसी फौजी से प्रेम में है. लतिका पहले परेशान होती है, डरती है कि कहीं उसकी नियति उसकी उस छात्रा की भी न हो जाए, फिर अपने डर की छाया से अपनी छात्रा को मुक्त कर देती है.

आकाशदीप - जयशंकर प्रसाद (Jaishankar Prasad) की यह अद्भुत प्रेमकहानी है. मानिनी नायिका प्रेम भी करती है पर समय के साथ प्रेमी से अधिक व्यापारी बन चुके व्यक्ति के सामीप्य को मना भी करती है. अपने मान को सुरक्षित रखने के लिए चम्पा प्रेमी से उसकी जगह छोड़कर जाने को कहती है. प्रेमिका की मान की रक्षा के लिए प्रेमी चला जाता है

पुरस्कार - जयशंकर प्रसाद की यह कहानी देश-प्रेम और प्रेम दोनों का क़िस्सा है. नायिका को मालूम होता है कि उसका प्रेमी दूसरे देश का राजकुमार है जो उसके देश पर अधिकार करना चाहता है. प्रेमी उससे अपना राज कहता है. वह देश-प्रेम में इसे राजा से बता देती है. घुसपैठिये प्रेमी को फांसी की सज़ा मिलती है. प्रेमिका भी उसी दिन, उसी पल अपने लिए सज़ा की मांग करती है.

लाल हवेली - शिवानी की यह कहानी बंटवारे के दंश में अलग हुए प्रेम की अनोखी कहानी है. देश विभाजन में अपने परिवार और पति से बिछड़ी सुधा अब ताहिरा है. अलग व्यक्ति से शादीशुदा ताहिरा बहुत साल बीतने के बाद किसी रिश्तेदारी में वापस भारत आती है पर संयोगवश जिस जगह आना होता है वह जगह उसकी पुरानी ससुराल के ठीक सामने है. अब भी अपने पहले पति के प्रेम में आबद्ध ताहिरा मन्नत मांगती है कि पहले पति का चेहरा बस एक बार दिख जाए. वह कोशिश करके उसे भरपूर नज़र देखती है. लौटते हुए अपनी हीरे की अंगूठी शिवालय में चढ़ा आती है. 

मारे गए गुलफ़ाम - रेणु की यह कहानी हीरामन और हीरा बाई की कहानी है. हीरामन हीराबाई को मेले में ले जा रहा है. रात भर की इस यात्रा में हीरामन हीराबाई पर रीझ जाता है पर जब उसे अहसास होता है कि हीरा बाई नौटंकी दिखाने वाली बाई जी हैं, उसका दिल टूट जाता है. हीरामन तीसरी क़सम लेता है. इस पर राजकपूर (Raj Kapoor) और वहीदा रहमान (Wahida Rahman) वाली चर्चित फिल्म तीसरी कसम बन चुकी है.

खरगोश - प्रियंवद की यह कहानी यौन इच्छाओं से अपरिचित बच्चे के तात्कालिक प्रेम का संस्मरण है. बच्चा अपने पड़ोसी वयस्क लड़के को बेहद मानता है. उसकी प्रेमिका उस उस लड़के के बीच पत्रवाहक का काम भी करता है. अपनी भावनाओं से अपरिचित बच्चे को उस लड़के की प्रेमिका अच्छी लगने लगती है. साड़ी से दिखता उसका पेट उसे खरगोश जैसा लगता है. एक दिन बच्चा उस लड़के और उसकी प्रेमिका को प्रेमालाप करते देखता है और खोने के तीव्र भाव से भर जाता है. कहता है, यह ख़रगोश केवल मेरा था. प्रियंवद की यह कहानी किशोर होते मन की अपुष्ट, अंजान भावों को दिखाती है, जिसमें प्रेम अपरिचित यौनिकता के साथ आता है.

 

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