डीएनए हिंदी : यूक्रेन में रूसी हमले के दौरान बहुत बड़ी संख्या में लोग बंकरो में छिपे हुए हैं. अनुमान है कि इन बंकरों ने हज़ारों को आश्रय दिया है. माना जाता है कि ये बंकर परमाणु हमले भी झेल सकते हैं. क्या आपको मालूम है, यूक्रेन में कब ये बंकर बनवाए गए थे? इसमें क्या-क्या सुविधाए हैं? जानते हैं इन बंकरों के बारे में पूरी बात -
सोवियत संघ ने बनवाया था इन बंकरों को
इन बंकरों का निर्माण सोवियत रूस ने शीत युद्ध के दिनों में किया था. यूक्रेन भी सोवियत रूस (Soviet Union)का हिस्सा हुआ करता था. उस ज़माने में मकानों में छिपने की बहुत सारी जगह नहीं हुआ करती थी. कोल्ड वॉर के दौरान भी परमाणु हमले का ख़तरा मंडराया था. इन बंकरो का निर्माण उन हालात में सुरक्षित रहने के लिए किया गया था.
इन बंकरों में कई वे भी हैं जिनका निर्माण सोवियत ज़माने में तहखाने के तौर पर किया गया था. साम्यवादी शासन निजी व्यवसाय और संग्रहण की अनुमति नहीं देता था. कई लोगों ने तहखाने सामान रखने और इस तरह के व्यवसाय को चलाने के लिए भी बनवाए थे. सोवियत संघ द्वारा बनवाए गए डिफेन्स बंकर कीव के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम इंफ्रास्ट्रक्चर का अहम् हिस्सा थे.
हमले की आशंका में कई बंकरों को फिर से तैयार किया गया था
सोवियत संघ(Soviet Union) के ज़माने के बंकर में रूसी सैनिक 1990 के शुरूआती साल तक थे. सोवियत रूस विघटन पर उनके यूक्रेन छोड़ने के बाद इन बंकरो की हालत ख़राब हो गई थी. रूस के द्वारा हमले की आशंका में आनन-फानन में इन बंकरों को दुरुस्त किया गया था. काफ़ी बंकरों में स्वचालित एयर प्यूरीफायर और नए बंक बेड लगाए गए ताकि अगर नागरिकों को अधिक वक़्त भी यहां रहना पड़ा तो रह सकें. कई बंकरों में इतना रसद है कि दो हफ़्ते का काम आसानी से निकल सकता है.
बंकर में बदला भारतीय रेस्त्रां साथिया
रूस से आ रही ताज़ा जानकारियों के मुताबिक़ कई रेस्त्रां और होटलों ने भी फिलहाल ख़ुद बंकर और शेल्टर होम में बदला दिया है. भारतीय रेस्त्रां साथिया की इस विषय में ख़ास चर्चा हो रही है जिसने अपने आप को पूरी तरह शेल्टर होम में बदल लिया है. इसे गुजरात के मनीष दवे चलाते हैं. मनीष लोगों को रहने की जगह के साथ-साथ खाना भी दे रहे हैं.