डीएनए हिंदी : टीवी के विज्ञापनों से लेकर डॉक्टर के यहां के पोस्टर तक आपको कोलेस्ट्रॉल के बारे में चेतावनी देते मिलते होंगे. कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) को गुड हेल्थ के रास्ते का सबसे बड़ा विलेन माना जाता है, पर क्या यह सच में हमारी हेल्थ लाइफ का मोगैम्बो होता है? या फिर इसमें दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के बाऊजी भी बसते हैं? कहने का अर्थ यह कि कोलेस्ट्रॉल केवल ख़राब होता है या अच्छा भी? आइए लेते हैं पूरी जानकारी.
क्या होता है कोलेस्ट्रॉल?
कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) वास्तव में चिकनाई भरा हुआ फैट होता है. यह आपके ख़ून के साथ-साथ शरीर की हर कोशिका में पाया जाता है. शरीर को कोलेस्ट्रॉल की कुछ मात्रा चाहिए होती है ताकि भिन्न अंग ढंग से काम कर सकें. लिवर उतनी मात्रा में कोलेस्ट्रॉल बना लेता है जितने की शरीर को आवश्यकता होती है. मूलतः हमें मांस, अंडे, डेयरी प्रॉडक्ट से प्रचूर मात्रा में कोलेस्ट्रॉल मिल जाता है. अगर आपके खाने में वसा यानी फैट की मात्रा अधिक है तो लीवर ज़रूरत से अधिक कोलेस्ट्रॉल बनाने लगता है.
कितने तरह के होते हैं कोलेस्ट्रॉल?
कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) दरअसल दो तरह के होते हैं. पहले तरह के कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) को लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL ) या बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है वहीं कोलेस्ट्रॉल का दूसरा टाइप गुड कोलेस्ट्रॉल कहलाता है. यह हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन(HDL) होता है.
शरीर में लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL ) का ऊंचा स्तर देह में फैट जमा कर देगा. इसे जमा हो रहे फैट को प्लाक कहते हैं. प्लाक की वजह से शरीर में ख़ून के सामान्य संचरण में समस्या आने लगती है. इस प्रक्रिया में अगर दिल तक खून सही से नहीं पहुंच पाता है तो दिल के दौरे की सम्भावना बढ़ जाती है. वहीं अगर दिमाग़ तक खून का संचरण नहीं होता है तो हार्ट अटैक के खतरे पैदा हो जाते हैं.
कितना गुड है गुड कोलेस्ट्रॉल
हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन को अच्छा कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) या गुड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है. यह आपके शरीर से दूसरी तरह के कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करता है. शरीर में अधिक HDL का होना हार्ट की बीमारी रोकता है.
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