डीएनए हिंदीः पूरे एक हफ्ते तक काम करने के बाद जब संडे आता है तो हम में से ज्यादातर लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता. संडे खुशी लाता है क्योंकि संडे हॉलीडे यानी छुट्टी का दिन होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि संडे छुट्टी का दिन क्यों होता है? आखिर कैसे संडे को छुट्टी का दिन बनाने की शुरुआत हुई?
क्यों बना संडे छुट्टी का दिन
जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तब मजदूरों को पूरा हफ्ता कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी. उन्हें आराम करने के लिए कोई छुट्टी नहीं दी जाती थी. ये भी नियम था कि सभी मजदूर या कर्मचारी हर दिन एक बार प्रार्थना के लिए चर्च में एकत्रित हों. हालांकि मिल कर्मचारी इस आदेश का पालन नहीं करते थे. उस दौरान नारायण मेघाजी लोखंडे मिल कर्मचारियों के नेता हुआ करते थे.
मजदूर और कर्मचारियों के लगातार कड़ी मेहनत के काम से वह काफी चिंतित थे. उन्होंने अंग्रेजी प्रबंधन के सामने हफ्ते में एक छुट्टी को लेकर प्रस्ताव रखा. उन्होंने अपने प्रस्ताव में लिखा कि छह दिन लगातार बिना थके काम करने के बाद कर्मचारी और मजदूरों को एक दिन उनके निजी जीवन और आराम के लिए भी चाहिए.
ब्रिटिश प्रबंधन ने बेशक इस पर तुरंत कोई फैसला नहीं दिया लेकिन लोखंडे भी अपनी अपील पर अड़े रहे. काफी लंबे समय बाद ब्रिटिश सरकार ने आखिरकार सन् 1890 में संडे को छुट्टी का दिन घोषित कर दिया, इसके लिए किसी भी धर्म की तरफ से कोई विरोध नहीं किया गया और संडे हमारे लिए फनडे यानी छुट्टी का दिन बन गया.
धार्मिक कारण भी रहे हैं वजह
ये उस समय की बात है जब भारत पर ब्रिटिश लोगों का राज था. ये आइडिया उन्हें ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के जरिए आया. ईसाई धर्म में मान्यता है कि ईश्वर ने दुनिया को छह दिन में बनाया और सातवां दिन आराम के लिए रखा. संडे की छुट्टी के पीछे इस मान्यता का भी अहम रोल रहा है.
ISO से भी मिली मान्यता
स्विट्जरलैंड आधारित अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संस्था ISO के अनुसार रविवार का दिन सप्ताह का आखिरी दिन माना जाता है और इसी दिन कॉमन छुट्टी रहती है. इस बात को 1986 में मान्यता दी गई थी लेकिन इसके पीछे ब्रिटिशर्स को कारण माना जाता है.
भारत सरकार से नहीं मिली कोई मंजूरी
हैरानी की बात ये है कि रविवार की छुट्टी को भारत सरकार की तरफ से आज तक कोई मंजूरी या मान्यता नहीं मिली है. एक आरटीआई के जवाब में ये सामने आया कि भारत सरकार द्वारा आज तक संडे को पब्लिक हॉलीडे बनाने को लेकर कभी कोई आदेश नहीं दिया गया है. जबकि ये भी सच है कि देश भर में ये सरकारी या निजी सभी क्षेत्रों में छुट्टी का दिन माना जाता है.