क्या Kashi Vishwanath Corridor से दूर हो जाएगी गंगा?

| Updated: Dec 13, 2021, 05:17 PM IST

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) बनने के साथ ही तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं.

डीएनए हिंदी:  काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) बनने के साथ ही कई सवाल उठने लगे हैं. कई लोगों ने गंगा के अस्तित्व पर भी सवाल उठाया है तो कई लोग प्रकृति के दोहन का की भी बात कर रहे हैं. वहीं PMO ने 40 खोये हुए मंदिरों का पता लगने और उसकी पुनर्स्थापना की बात की है. क्या सचमुच काशी से गंगा दूर हो गई है? आइए हम इसकी पड़ताल करते हैं. 

क्या है काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना?

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना गंगा नदी (The Ganga) को काशी विश्वनाथ से नये मार्गों से जोड़ने वाली लगभग 900 करोड़ की परियोजना है. इसमें मंदिर के परिसर को 3,000 स्क्वायर मीटर से बढ़ाकर 5 लाख स्क्वायर मीटर किया गया है. काशी के प्रसिद्ध शिव मंदिर के आस-पास से कई दुकानों और निजी संपत्तियों के पुराने ढांचों को हटाकर मंदिर के परिसर में विस्तार किया गया है. इस तोड़-फोड़ की वजह से सरकार पर आरोप लगा था कि यह परियोजना गंगा की सफ़ाई के लिहाज से उचित नहीं.

क्या इस परियोजना से गन्दगी का विस्तार हुआ?

जून 2021 में एक अखबार की रपट में दर्ज हुआ था कि बनारस में ललिता घाट के पास गंगा काफ़ी मैली हो रही है. रपट के मुताबिक तोड़फोड़ के मलबे को गंगा में डाला जा रहा था जिससे पानी काफ़ी गन्दा हो गया था. लोगों को यह भी आशंका थी कि मलबे के यूँ नदी में डालने से नदी घाट से दूर हो जायेगी. लोगों को समस्या 100 लम्बे और 150 फीट चौड़े रैंप से भी थी कि यह पानी के मुक्त बहाव में बाधा उत्पन्न करेगा.

गन्दगी के मसले पर बात करते हुए काशी विश्वनाथ परियोजना के मुख्य आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने द हिन्दू से हुए वार्तालाप में कहा है कि गंदगी से निजात पाने का का पूरा इंतज़ाम किया गया है. पहले जहाँ एक भी पानी निकासी के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी, इस वक़्त सीवर का जाल बिछा दिया गया है.

“दीगर हो कि ललिता घाट वही घाट है जहां प्रधानमंत्री ने विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले गंगा में डुबकी लगाईथी. “

क्या नदी भविष्य में दूर हो जायेगी ?

इस परियोजना में सबसे अधिक शंका नदी के दूर होने की है. इस बाबत बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के प्रोफेसर और नदियों के विशेषज्ञ यू. के. चौधरी ने जून 2021 में गाँव कनेक्शन अख़बार से इसी सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि, “नदी पर बांध की तरह बनाया गया कंस्ट्रक्शन 90 डिग्री के एंगल पर है. यह अभी बताना मुश्किल है कि भविष्य में क्या होगा. नदी पूरब की ओर बहना शुरु कर देगी और घाटों पर एवं नदी के तल में गाद इकट्ठा हो सकता है.”

यह गाद लगभग वैसा ही होगा जैसा अभी अस्सी घाट और गंगा महल घाट के बीच का गाद है.