डीएनए हिन्दी: जबरन मज़दूरी पर नियंत्रण लगाने के एक उपाय के तौर पर कुछ दिनों पहले अमेरिकी हाउस ने चीन के Xinjiang से आने वाले सामानों पर आयात पर रोक लगाने के लिए एक बिल पास किया है। हालाँकि सीनेट में कोई क़ानून बनने में अभी देर है पर क्यों यह बिल पास किया गया है वह सवाल दीगर है।
इस सवाल का जवाब है कि यह फ़ैसला मानवाधिकार के पक्ष में लिया गया था। चीन के Xinjiang से लगातार ख़बरें आ रही हैं कि इलाक़े में एक समुदाय विशेष से जबरन मज़दूरी करवाया जा रहा है।
प्रतिबंध की शुरुआत का इतिहास
जनवरी 2021 में U.S. स्टेट डिपार्टमेंट ने घोषित किया था कि चायनीज़ कॉम्युनिस्ट पार्टी चीन के मुस्लिम अल्पसंख्यकों Uyghurs के ख़िलाफ़ लगभग जनसंहार(genocide) वाली मुद्रा में है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के घोषित करते ही, कनाडा और यूरोपीय देशों ने भी यह घोषित किया।
मई 2021 में ब्रिटेन की शेफ़ील्ड हालम यूनिवर्सिटी ( Sheffield Hallam University) के द्वारा किए गये रीसर्च से यह निष्कर्ष भी निकल कर सामने आया कि दुनिया भर में लगभग आधी जगहों पर चीन के Xinjiang में Uyghurs शरणार्थियों से ज़बरदस्ती कर बनवाये गये सोलर पैनल का इस्तेमाल हो रहा है। Uyghurs मुस्लिमों के साथ रही इस तरह की राजनैतिक-व्यावसायिक हिंसा दुनिया के सभी मानवाधिकार समर्थक राष्ट्रों की चिंता का विषय रहा है।
कौन हैं Uyghurs
Uyghurs या उयिघर्स को चीन के Xinjiang इलाक़े का मूल निवासी माना जाता है। इनकी आबादी लगभग 12 मिलियन मानी जाती है। चीनी सरकार ज़ाहिरन तौर पर इनका पुनर्वास करवाना चाहती है कि चीन में इस्लामिक आतंकवाद ना फैले। इस पुनर्वास के लिए सत्तारूढ़ पार्टी ने कई री-एजुकेशन कैम्प बनवाये हैं। इन री-एजुकेशन कैम्प को शोषण और राजनीति प्रायोजित हिंसा का केंद्र माना जाता है।
इसे चीन के राजनैतिक तबके की मुस्लिम धर्म से जुड़ी घृणा से भी जोड़कर देखा जा रहा है। ख़बरों के मुताबिक़ चीनी सरकार ने लगातार स्थानीय मुस्लिम धार्मिक गुरुओं और नेताओं को गिरफ़्तार किया है। साथ ही साथ मस्जिदों और मक़बरों को ध्वस्त कर मुस्लिम धार्मिक आचारों पर भी नियंत्रण लगाने की कोशिश की है।
चीन के इस रवैये या हिटलरशाही की वजह से Uyghurs की पूरी आबादी ख़तरे में आ गयी है।