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knowledge News: फांसी से पहले दोषी के कान में ये आखिरी शब्द कहता है जल्लाद

क्या आप जानते हैं कि किसी भी मुजरिम को फांसी पर लटकाने से पहले एक ट्रायल किया जाता है? आइए जानतें हैं फांसी से जुड़े कुछ नियमों के बारे में

knowledge News: फांसी से पहले दोषी के कान में ये आखिरी शब्द कहता है जल्लाद
फांसी से पहले दोषी के कान में ये आखिरी शब्द कहता है जल्लाद

डीएनए हिंदी: देश में इन दिनों शबनम मामले की चर्चा जोरों पर है. आजाद भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी महिला को फांसी की सजा सुनाई गई है. उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में शबनम नाम की महिला को फांसी होनी है. हालांकि अभी फांसी की तारीख तय होना बाकी है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं फांसी से जुड़े कुछ नियमों के बारे में- 

क्या आप जानते हैं कि किसी भी मुजरिम को फांसी पर लटकाने से पहले एक ट्रायल किया जाता है? अगर नहीं तो बता दें कि मुजरिम से पहले जल्लाद उसके वजन का ही पुतला लटकाकर ट्रायल करता है. इसके बाद फांसी देने वाली रस्सी का ऑर्डर दिया जाता है. दोषी के परिजनों को 15 दिन पहले ही सूचना दे दी जाती है ताकि वो आखिर बार कैदी से मिल सकें. 

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दोषी के कान में यह आखिरी शब्द कहता है जल्लाद
इसके अलावा फांसी से ठीक पहले जल्लाद मुजरिम के पास जाता है और उसके कान में कहता है, 'मुझे माफ कर देना, मैं तो एक सरकारी कर्मचारी हूं. कानून के हाथों मजबूर हूं.' इसके बाद अगर मुजरिम हिंदू है तो जल्लाद उसे राम-राम बोलता है, वहीं अगर  वह मुस्लिम है तो जल्लाद उसे आखिरी दफा सलाम करता है. इतना कहने के बाद लीवर खींच दिया जाता है. जल्लाद उसे जब तक लटकाए रहता है जब तक की दोषी के प्राण नहीं निकल जाते. इसके बाद डॉक्टर दोषी की नब्ज टटोलते हैं. मौत की पुष्टि होने पर जरूरी प्रक्रिया पूरी की जाती है और बाद में शव परिजनों को सौंप दिया जाता है.

फांसी के दिन क्या-क्या होता है?

  • फांसी वाले दिन कैदी को नहलाकर उसे नए कपड़े दिए जाते हैं. 
  • इसके बाद सुबह-सुबह जेल सुप्रीटेंडेंट की निगरानी में गार्ड कैदी को फांसी कक्ष में लाते हैं. 
  • फांसी के वक्त जल्लाद के अलावा तीन अधिकारी (जेल सुप्रीटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और मजिस्ट्रेट) मौजूद रहते हैं. 
  • सुप्रीटेंडेंट फांसी से पहले मजिस्ट्रेट को बताते हैं कि कैदी की पहचान हो गई है और उसे डेथ वॉरंट पढ़कर सुना दिया गया है. 
  • डेथ वॉरंट पर कैदी के साइन कराए जाते हैं.
  • फांसी देने से पहले कैदी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है.
  • कैदी की वही इच्छाएं पूरी की जाती हैं जो जेल मैनुअल में होती हैं. 
  • फांसी देते वक्त सिर्फ जल्लाद ही दोषी के साथ होता है. 

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