डीएनए हिंदी: वसंत के मौसम में होली का त्योहार मनाया जाता है. ये वह समय होता है जब सर्दियां विदाई लेती हैं और गर्मियां दस्तक दे रही होती हैं. ऐसे में होली के त्योहार से जुड़ी रस्मों और रिवाजों को सेहत से जोड़कर भी देखा जाता है. जानते हैं क्या है मौज-मस्ती से भरे होली के इस त्योहार का वैज्ञानिक महत्व-
राग-रंग और सेहत
मौसम के बदलाव के दौरान शरीर का कुछ थकान और सुस्ती महसूस करना प्राकृतिक है. शरीर की इस सुस्ती को दूर भगाने में फाग के राग अहम रोल अदा करते हैं. इस दौरान बजने वाला संगीत भी शरीर को नई ऊर्जा देता है. रंग और अबीर का भी हमारे शरीर पर अनोखा प्रभाव होता है. इससे शरीर को सुकून मिलता है.यह ध्यान रखें कि होली के इस मौके पर नैचुरल रंगों का ही इस्तेमाल करें. कैमिकलयुक्त रंग नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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होलिका दहन का महत्व
परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं तो होलिका से निकलने वाला ताप शरीर और आस-पास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है. इस तरह यह शरीर और पर्यावरण दोनों को स्वच्छ करने का काम करता है.
होलिका दहन की राख
कई जगहों पर होलिका दहन के बाद उसकी बुझी राख को माथे पर विभूति के तौर पर भी लगाते हैं. कई जानकार मानते हैं कि एक स्वस्थ शरीर के लिए रंगों का भी महत्वपूर्ण स्थान है. ऐसे में होली का त्योहार यह मौका देता है हम अपने शरीर को रंगों से सराबोर कर सकें.
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