डीएनए हिंदीः मार्किट में पीने के लिए ढेर सारे गर्म पेय पदार्थ मौजूद हैं पर चाय के लिए एक अलग दीवानगी है. पूरे दिन की थकान को छूमंतर करने के लिए गर्मा-गर्म चाय का एक कप काफी होता है. चाय और उसे बनाने वालों के लिए हर साल 21 मई को अंतराष्ट्रीय चाय दिवस (International Tea Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिन चाय बनाने वाले कर्मियों, चाय के निष्पक्ष व्यापार और उत्पादन में सुधार के मकसद से मनाया जाता है. भारतीय चाय बोर्ड ने इस दिन की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठनों में अवकाश के उद्देश्य से की थी. 2007 में टी बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में उत्पादित कुल चाय का लगभग 80 प्रतिशत घरेलू आबादी द्वारा उपभोग किया जाता है.
जानिए चाय का सफरनामा
चाय का इतिहास बहुत पुराना है. कहा जाता है कि लगभग 2700 ईसापूर्व चीनी शासक शेन नुंग बगीचे में बैठकर गर्म पानी पी रहे थे. इसी दौरान उनके कप में एक पेड़ की पत्ती आ गिरी. इसके बाद पानी का रंग बदल और महक भी उठी. जब राजा ने पत्ती वाले पानी के चखा तो उन्हें एक अलग स्वाद आया जो उन्हें अच्छा लगा. कुछ इस तरह से चाय का अविष्कार हुआ.
वहीं कुछ कथाओं में ऐसा भी कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षुों द्वारा चाय का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता था और यहीं से चाय की शुरुआत हुई. वहीं भारत में चाय लाने का श्रेय ब्रिटेश ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया जाता है. आज चाय किसी परिचय की मोहताज नहीं है. घरों और बजारों में चाय के कई प्रकार मौजूद हैं. जैसे - वाइट टी, ब्लैक टी, ग्रीन टी, ओलांग टी और हर्बल टी आदि. भारत में चाय का सबसे ज्यादा उत्पादन असम राज्य में किया जाता है.
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International Tea Day का इतिहास
पहला अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस 2005 में दिल्ली में आयोजित किया गया था. साल 2015 में भारत सरकार ने इस दिन को संयुक्त राष्ट्र खाद्य और विश्व स्तर के कृषि संगठनों तक पहुंचाने का काम किया. इसके बाद से विश्व के अलग-अलग देशों में 21 मई के दिन अंतराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाने लगा. हर साल यह दिन मई के महीने में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस समय अधिकांश देशों में चाय का उत्पादन शुरू होता है.
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चाय बनाते समय रखें इन बातों का ध्यान
1. कुछ लोग सारी चीजें एक साथ डालकर चाय बना देतें हैं जिसका स्वाद कुछ खास नहीं आता. चाय बनाने की एक प्रक्रिया है. ऐसे में जरूरी है कि आप सबसे पहले पानी में पत्ती, इलायची, चीनी और सैंफ डाल कर उबाल लें. इसके बाद दूध डालें और उबाल कर परोंसे. इस तरह से चाय बनाने पर चाय खुद ब खुद बढ़िया बनती है.
2. दूध डालने में कंजूसी करने पर भी चाय का स्वाद अच्छा नहीं लगता है. ऐसे में जितनी जरूरत हो उतना दूध डालना चाहिए. तभी चाय का स्वाद अच्छा लगता है.
3. इसके अलावा चाय को बनाते समय सबसे जरूरी है उसे अच्छे से उबाला जाए. कच्ची चाय पीने में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती है.
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