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World Hypertension Day: नमक इश्क का ही बढ़िया, जिंदगी में ज्यादा हो जाए तो जान आफत में पड़ सकती है जनाब

मशहूर लेखक असगर वजाहत ने एक इंटरव्यू के दौरान मुझसे कहा था- जीवन में विचारधारा नमक की तरह जरूरी होती है.

World Hypertension Day: नमक इश्क का ही बढ़िया, जिंदगी में ज्यादा हो जाए तो जान आफत में पड़ सकती है जनाब
खाने में नमक की अधिकता हाइपरटेंशन को बुलावा देती है

डीएनए हिंदी: एक गाने के बोल हैं नमक इश्क का... इस गाने के बोल मीठे हैं लेकिन इसे सुनते हुए ना जाने मेरे कानों में यह नश्तर की तरह चुभन पैदा करता है. यह सब डॉक्टर की नमक कम खाने की सलाह के चलते हो रहा है. लगभग 18 साल पहले जब मुझे हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत शुरू हुई तो डॉक्टर ने मुझसे साफ शब्दों में कहा- आप नमक, अचार, तेल, घी, पापड़ आदि से दूर रहने की कोशिश करना. मैंने उनसे कहा कि फिर मैं जिंदा कैसे रह पाउंगा? डॉक्टर ने कहा- आप दूर रहना मतलब इसकी अधिकता से बचना. डॉक्टर की इन सलाहों के सहारे जीवन जीने लगा और जीवन को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष करने लगा.

पत्रकारिता करते हुए कुछ साल बीत गए थे और एक रोज मैं हिंदी के मशहूर लेखक असगर वजाहत साहब का इंटरव्यू करने जामिया मिलिया इस्लामिया पहुंचा. उन्होंने इंटरव्यू के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा- जीवन में विचारधारा नमक की तरह जरूरी होती है. मैं जीवन में इस विचारधारा के नमक संतुलन को लेकर काफी भटका लेकिन यह हर जगह घड़ी के पेंडुलम की तरह ही किसी एक्सट्रीम पर जाने को आतुर दिखी. वाम, दाम, आस्तिकता, नास्तिकता, ईश्वर, अनीश्वर, जाति-पाती सब एक-दूसरे पर हावी होते हुए दिखे. संतुलन में रहना, संतुलन बनाना शायद जीवन में उठे बवंडर की रेत की तरह है जो एक टीले से दूसरे टीले तक अस्थिरता की हालत में बने रहते हैं.

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जीवन में एक चरण ऐसा भी आया जब फूड ब्लॉगरों के वीडियो देखने लगा. हर दूसरे ब्लॉगर को यह कहते हुए पाया कि आप अलां बनाएं या फलां बनाएं लेकिन नमक स्वादानुसार डाल लें. इस थ्योरी का पालन करते हुए ना जाने कितने लोग हर साल हाई ब्लड प्रेशर के शिकार होते चले गए. WHO के मुताबिक इस वक्त दुनिया में करीब 128 करोड़ लोग हाइपरटेंशन की गिरफ्त में आ चुके हैं और करीब 70 करोड़ लोग इस खतरनाक बीमारी का इलाज भी नहीं करवा पा रहे हैं. फूड ब्लॉगर और यूट्यूब चैनल वाले नमक स्वादानुसार कहकर अपना धंधा कर रहे हैं.

नमक का कारोबार करने वाली कंपनी लो सोडियम सॉल्ट, फ्री फ्लो सॉल्ट बेचकर अपना धंधा देख रही है. अब इन सबके बीच डॉक्टर और हॉस्पिटल इतना ग्राम नमक खाएं, टेबुल सॉल्ट ना खाएं या फलां दवा खिलाकर अपना काम कर रहे हैं. आयुर्वेद और होमियोपैथी की प्रैक्टिस करने वाले भी जड़ से ब्लड प्रेशर दूर भगाने के नाम पर अपना रंग जमाने में कोई कसर नहीं रखते हैं. योग वाले भी इस खेल में खुद को मांज चुके हैं और वो भी अब पूरी ठसक के साथ कहते हैं- 15 दिन अनुलोम-विलोम कर लो सब दुरुस्त हो जाएगा.

इनके बीच में बेचारा फंसा हुआ इंसान क्या करे? नमक से इश्क करे, जीवन में नमक जैसी विचारधारा बनाए या नमक स्वादानुसार खाए?

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