अटल बिहारी वाजपेयी भी करना चाहते थे शादी, पाकिस्तानी महिला पत्रकार के सामने रखी थी ये शर्त

कुलदीप सिंह | Updated:Aug 16, 2022, 09:15 AM IST

Atal Bihari Vajpayee: अटल बिहारी वाजपेयी की हाजिर जवाबी के सभी कायल थे. उन्होंने राजनीति में कई ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए जो आज भी मिसाल बने हुए हैं.  

डीएनए हिंदीः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज चौथी पुण्यतिथि ( Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary ) है. 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में में जन्मे वाजपेयी आज के ही के दिन 2018 में हमें छोड़ कर चले गए. अटल बिहारी वाजपेयी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे. वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने. वे हिंदी कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे. वह जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) में 25 दिसंबर 1924 को हुआ था. उनके पिता ग्वालियर रियासत में शिक्षक थे. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के मूल निवासी थे.

दहेज में मांगा पूरा पाकिस्तान 
अटल बिहारी वाजपेयी की हाजिर जवाबी के सभी कायल थे. उनकी शादी के प्रस्ताव से जुड़ा एक किस्सा काफी प्रसिद्ध है. बात 16 मार्च 1999 की है.  प्रधानमंत्री रहते हुए अटलजी ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल की थी. उनकी पहल पर दोनों देशों के बीच अमृतसर से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की गई थी. इसी बस में वे खुद बैठकर लाहौर तक गए थे. पाकिस्तान में उनका जोरदार स्वागत हुआ. जब वहां के गवर्नर हाउस में भाषण दे रहे थे, तब पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार के सवाल पर सन्नाटा छा गया. महिला पत्रकार ने अटल बिहारी से पूछा कि उन्होंने अभी तक शादी क्यों नहीं की है. मैं आपसे शादी करना चाहती हूं, लेकिन एक शर्त है कि आप मुंह दिखाई में मुझे कश्मीर देंगे. महिला पत्रकार का सवाल सुनकर अटलजी हंसने लगे. उन्होंने भी पलटकर महिला पत्रकार से कहा कि मैं भी शादी के लिए तैयार हूं लेकिन मेरी भी एक शर्त हैं. मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए. अटलजी की हाजिर जवाबी से सभी हंसने लगे. 

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जब मनमोहन को इस्तीफा देने से रोका
अटलजी का एक हिस्सा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी जुड़ा है. 1991 में केंद्र में पीवी नरसिंहराव की सरकार के दौरान डॉ. मनमहोन सिंह वित्त मंत्री थे. तब अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थे. मनमोहन ने अपना बजट भाषण दिया. अटलजी ने अपने भाषण में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए बजट की जमकर आलोचना की. इस आलोचना से मनमोहन सिंह इतने दुखी हो गए कि प्रधानमंत्री नरसिंह राव को इसत्फी देने की पेशकश कर दी. मनमोहन सिंह किसी की भी बात सुनने को राजी नहीं थे. तभी राव ने अटलजी को फोन किया और पूरी बताई. अटल बिहारी तभी मनमोहन सिंह से मुलाकात करने पहुंचे. वायजेपी ने मनमोहन सिंह से कहा कि आपका भाषण अच्छा था. मैंने सिर्फ राजनीतिक आलोचना की है, उसे आप व्यक्तिगत ना लें. इसके बाद डॉ मनमोहन सिंह मान गए और इस्तीफा देने का विचार बदल दिया.    

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