डीएनए हिंदी: साल 1953 में दुनियाभर में बाल दिवस (Children Day) को मान्यता दी गई. संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर की तारीख को बाल दिवस के रूप में तय किया. इसके बावजूद भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है. पहली बार साल 1959 में भारत में बाल दिवस मनाया गया. यह आयोजन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Jawahar Lal Nehru) के जन्मदिन के मौके पर हुआ. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि पंडित नेहरू बच्चों से काफी लगाव रखते थे. उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर भी बच्चों के हित में काम करते थे.
बच्चों से पंडित नेहरू के लगाव के चलते ही वह 'चाचा नेहरू' के नाम से भी मशहूर हुए. वह खुद भी बच्चों के बीच रहना पसंद करते थे. उन्होंने बच्चों और युवाओं के लिए कई योजनाएं शुरू कीं. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने बच्चों की शिक्षा और उनके शारीरिक विकास पर काफी जोर दिया. बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए आईआईटी, एम्स और आईआईएम जैसे संस्थानों की शुरुआत की गई.
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बच्चों के लिए पंडित नेहरू ने किए कई काम
पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री रहते ही देश में निशुल्क प्राथमिक शिक्षा, कुपोषण से बजाने के लिए बच्चों को पोषण युक्त भोजन और वैक्सिनेशन कार्यक्रम शुरू किए गए. पंडित नेहरू बच्चों के बारे में कहते थे, 'देश का उज्ज्वल भविष्य इन बच्चों के हाथ में ही है. अगर बच्चों को शिक्षा, उचित देखभाल और प्रगति के लिए सही रास्ता दिखाया जाए तो वे आगे चलकर देश को नई ऊंचाइयों तक लेकर जाएंगे.'
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कैसा रहा है बाल दिवस का इतिहास?
बाल दिवस की नींव 1925 में रखी गई. दुनियाभर में इसे मान्यता 1953 में मिली. संयुक्त राष्ट्र ने ऐलान किया कि 20 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा. कई देशों में इसे अलग-अलग दिन भी मनाया जाता है. 1950 से हर साल 1 जून को वर्ल्ड चिल्ड्रेन डे मनाया जाता है. भारत में आजादी के बाद पहला बाल दिवस 1959 में मनाया गया था.
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