महज 18 दिनों तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे केएन सिंह, जानिए किसके नाम सबसे लंबे समय तक CJI रहने का रिकॉर्ड

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 09, 2022, 03:06 PM IST

जस्टिस कमल नारायण सिंह देश में सबसे कम समय तक CJI रहे हैं

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने व्यभिचार और निजता के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने पिता वाईवी चंद्रचूड़ के फैसले पलट चुके हैं.

डीएनए हिंदी: जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ CJI पद की शपथ ले चुके है.  भारत की न्यायपालिका में CJI सर्वोच्च पद है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में उन्हें CJI पद की शपथ दिलाई. जस्टिस हरिलाल जेकिसुन्ददास कनिया भारत के पहले CJI थे. उन्होंने 26 जनवरी 1950 से 6 नवंबर 1951 तक यह पद संभाला. आइए आपको बताते हैं कौन थे देश में सबसे लंबे और सबसे कम समय तक CJI पद पर रहने वाले जजों के बारे में.

सबसे छोटा कार्यकाल
जस्टिस कमल नारायण सिंह देश में सबसे कम समय तक CJI रहे हैं. उनका कार्यकाल महज 18 दिनों का था. वे भारत के 22वें CJI थे. उनका जन्म 13 दिसंबर 1926 को हुआ था. वह 25 नवंबर 1991 से 12 दिसंबर 1991 तक भारत के CJI रहे. स्वर्गीय न्यायमूर्ति के एन सिंह सिविल, संवैधानिक और टैक्स कानून में विशेषज्ञता रखते थे.

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साल 1970 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया था. साल 1972 में उन्हें एक स्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया था. साल 1986 में वह सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए गए. इसके बाद वह साल 1991 में 18 दिनों के लिए CJI बने.

सबसे लंबा कार्यकाल
देश के वर्तमान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सबसे लंबे समय तक देश के CJI रहे हैं. वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक देश के CJI रहे. वह कुल 7 साल 4 महीने 20 दिन तक भारत के CJI रहे. 12 जुलाई 1920 को पुणे में पैदा हुए जस्टिस वाई वीचंद चंद्रचुड़ ने पुण के ILS लॉ कॉलेज से वकालत की थी. उनका निधन 14 जुलाई 2008 को हुआ.

कौन हैं देश के वर्तमान CJI डीवाई चंद्रचूड़?
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए CJI पद पर रहेंगे.cवह 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट किए गए थे. ‘असहमति को लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व’ के रूप में देखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठों का हिस्सा रहे हैं.

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने व्यभिचार और निजता के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने पिता वाईवी चंद्रचूड़ के फैसले को पलटने में कोई संकोच नहीं किया. अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली IPC की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित करने जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला करने वाली पीठ का वह हिस्सा रहे.

(इनपुट- भाषा)

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