डीएनए हिंदी: आज देश भर में दशहरा मनाया जा रहा है. शाम को रावण दहन के साथ ही दशहरे का ये उत्सव संपन्न होगा. मगर इसी के साथ आज एक और खास दिन है. इसे धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस कहा जाता है. हर साल यह दिन भी विजयदशमी पर ही मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं इस दिन का महत्व और इसे मनाए जाने का कारण-
संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बदला था अपना धर्म
भीमराव अंबेडर के बारे में आप जानते ही होंगे. वह संविधान निर्माता हैं. वह भारत के पहले कानून मंत्री बने. उन्होंने छुआछुत और जातिगत भेदभाव जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद की. जानने वाली एक अहम बात यह भी है कि अंबेडकर की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आय़ा था जब उन्होंने हिंदू धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म अपना लिया था. जिस दिन यह हुआ उसे धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस कहा जाता है. हर साल यह दिवस विजयदशमी के दिन मनाया जाता है.
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3 लाख लोगों ने एक साथ बदला था धर्म
सन् 1956 में नागपुर के बौद्ध स्मारक में एक बड़ी सभा हुई. इस सभा में डॉ. अंबेडकर और उनके अनुयायियों ने बौद्ध धर्म अपनाया था. इस धर्म परिवर्तन में में तीन लाख से ज्यादा लोग शामिल थे. अगर आप ये सोच रहे हैं कि आखिर भीम राव अंबेडकर ने धर्म क्यों बदला था तो इसकी भी एक वजह थी. उन्होंने हिंदू धर्म में किए जाने वाले भेदभाव की वजह से धर्म परिवर्तन का फैसला किया था. जब भीमराव अंबेडकर ने हिंदू धर्म को छोड़ने का फैसला किया तब उन्होंने देश और दुनिया के कई धर्मों का अध्ययन किया. वह जानना चाहते थे कि कौन सा धर्म उनके लिए बेहतर होगा. आखिर में उन्हें बौद्ध धर्म सबसे बेहतर लगा.
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जब भीमराव अंबेडकर ने कहा- हिंदू धर्म गलत आदर्शों का प्रचार करता है
जब नागपुर में उन्होंने यह धर्म परिवर्तन किया तब उन्होंने कहा था, 'हिंदू धर्म गलत आदर्शों का प्रचार करता है. एक गलत तरह का सामाजिक जीवन जीने के लिए मजबूर करता है. आज इस धर्म को त्यागकर मेरा पुनर्जन्म हुआ है. इसी के साथ उन्होंने 22 प्रतिज्ञाएं ली थीं. इनमें से एक थी- मैं अपने पुराने हिंदू धर्म को अस्वीकार करता हूं जो मानव जाति की समृद्धि के लिए हानिकारक है, जो मनुष्य में भेदभाव करता है और मुझे हीन मानता है.
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